कोरोना: प्लाज्मा थेरेपी ने दिया उम्मीद का ईंधन, सरकार ने लगाया स्पीड ब्रेकर

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8دقيقة
اللغة
اللغة الهندية
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الفئة
كتب واقعية

प्लाज्मा थेरेपी के तहत, कोविड-19 से पूरी तरह ठीक हुए मरीज के शरीर से प्लाज्मा लेकर मरीज के शरीर में भेजा जाता है ताकि उसका शरीर वायरस से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज बना सके.

लेकिन क्या ये कोरोना का इलाज हो सकता है? इसका जवाब ढूंढ़ने के लिए दुनिया भर में इस पर एक्सपेरिमेंट किए जा रहे हैं. चीन में इसके सकारात्मक नतीजे भी देखे गए. यूके की नेशनल हेल्थ सर्विस भी इसे लेकर ट्रायल कर रही है. अमेरिका में भी असमंजस के बावजूद भी FDA यानी फ़ूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कोरोना से ठीक हुए लोगों को प्लाज्मा डोनेशन के लिए कह रहा है. और अमेज़न इस स्टडी को 25 लाख डॉलर्स से स्पांसर कर रहा है. फिलहाल प्लाज्मा थेरेपी को कोरोना का कन्फर्मेड ट्रीटमेंट डिक्लेअर नहीं किया गया है. इस पर सवालिया निशान बढ़ गए जब मुंबई में उस पहले कोरोना मरीज की मौत हो गई जिसे प्लाज्मा थेरपी दी गई थी.

एक तरफ थेरेपी के पॉजिटिव नतीजे दिख रहे हैं लेकिन भारत सरकार की तरफ से इस ट्रीटमेंट को हरी झंडी नहीं मिली है. तो सवाल ये है कि अगर किसी पेशेंट के परिवार वाले चाहें तो क्या उस पेशेंट की प्लाज्मा थेरेपी की जाएगी या नहीं? ये प्लाज्मा थेरेपी होती किस तरह है ? आज बिग स्टोरी में जानिए इन सवालो के जवाब मैक्स हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ संदीप बुद्धिराजा से. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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