लॉकडाउन के सन्नाटें में क्या सरकार तक पहुँच रही है ग़रीबो की पुकार?

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اللغة الهندية
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كتب واقعية

कोरोनावायरस से दुनिया में अभी तक 4 लाख से ज़्यादा कनफर्म्ड केसेस हैं और 18000 से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिनमें सबसे ज़्यादा मौतें इटली में हुई हैं, इटली में मरने वालो का आंकड़ा 7000 के क़रीब पहुंचने वाला है. भारत में अभी तक कनफर्म्ड केसेस 560 के ऊपर पहुंच चुके हैं और मरने वालो की संख्या 9 हो चुकी है. ऐस में लॉकडाउन ही एक ऐसा उपाय है जो आपसी संपर्क को रोक सकता है. पर्सन टू पर्सन कांटेक्ट बिलकुल न हो इसीलिए कई ऑफिसेस 'वर्क फ्रॉम होम' हो चुके हैं

मंगलवार 24 मार्च की रात पीएम मोदी देश के सामने आए और ऐलान कर दिया कि अगले 21 दिन देशभर में पूरी तरह लॉकडाउन रहेगा. लोग तीन हफ्ते तक घर से निकलना क्या होता है ये भूल जाएं. अब लॉकडाउन का पीरियड खत्म होने के बाद ही पता चल पाएगा कि भारत इससे कितना उबर पाता है, लेकिन ये लॉकडाउन सबसे ज्यादा गरीबों पर भारी पड़ने वाला है. दिहाड़ी मजदूरों से लेकर रिक्शा चालकों का दर्द दिखने लगा है.

भारत 90% से ज़्यादा ऐसे लोग हैं जो इनफॉर्मल सेक्टर में काम करते हैं यानी एक दिन भी अगर वो घर पर बैठ जाएं तो उनके चूल्हे नहीं जलते हैं. ऐसे में 21 दिन के लॉकडाउन से उनकी ज़िन्दगियों पर क्या असर पढ़ेगा? इसी पर बात करेंगे आज बिग स्टोरी पॉडकास्ट में. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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