कहा जाता है कि एक किताब सौ मित्रों के समान होती है, तो एक अच्छा मित्र पुस्तकालय के बराबर है.लेकिन जब बात एक प्रमुख अकादमिक, फ़ूड क्रिटिक, लेखक व प्रख्यात अनुवादक पुष्पेश पन्त की हो रही हो तो उन्हें तो एक चलायमान थिसारस, आर्काइव और आज के युवाओं की भाषा में कहें तो, ‘गूगल’ ही कहा जा सकता है| उन्हें सुनना एक युग को सुनने के समान है, इसमें दिलचस्प बात ये है कि एक दौर, एक समय की बात बताते हुए भी उनकी बातों में प्राचीनता या जड़ता नहीं आ पाती. हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता इस पोडकास्ट में पुष्पेश जी से बात करते हुए, उनके विविध आयाम को आप तक पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं| आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.
خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
عربي
الإمارات العربية المتحدة