लेखक, अनुवादक, अध्यापक, सम्पादक प्रभात रंजन हिंदी की दुनिया में ख़ुद एक ख़बर हैं भी और हर ख़बर उन्हें पता भी होती है. वे उम्दा किस्सागो और आला न्यूज़ब्रेकर हैं. उन्होंने बेहतरीन कहानियाँ लिखीं; गेब्रियल गार्सिया मार्केस और मनोहर श्याम जोशी पर किताबें लिखीं; देवदत्त पट्टनायक जैसे लेखक को हिंदी में ट्रांसलेट किया; 'जानकीपुल' जैसी वेबसाइट को चलाया जिस पर पाठक, नए लेखक और प्रकाशक सालों से नज़र बनाये हैं; उनके कहे पर विवाद हुए और वो डेमोक्रेटिक बने रहे और ज़िंदगी भर पॉप्युलर लेखन वालों के बीच 'गंभीर साहित्य' और 'गंभीर साहित्य' वालों के बीच पॉप्युलर का झंडा बुलंद करते रहे. दूसरों पर तरकश चलाये लेकिन ख़ुद पर भी उतनी ही बेमुरव्वत से जिसकी कुछ झलक आप इस बातचीत में भी पायेंगे. उनकी दो किताबें 'जानकीपुल' और 'कोठागोई' आप स्टोरीटेल पर सुन सकते हैं. 'जानकीपुल' सुनने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/in/en/books/559616-Jankipul) क्लिक करें और 'कोठागोई' सुनने के लिये यहाँ (https://www.storytel.com/in/en/books/551743-Kothagoi) . और अगर आप अब तक स्टोरीटेल सब्सक्राइबर नहीं हैं, तो यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) क्लिक करें.
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