67: यह संसार का अंत क़तई नहीं है, उम्मीद रखिये, ख़याल रखिये: डॉ. प्रवीण झा

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Episode
67 of 116
المدة
46دقيقة
اللغة
اللغة الهندية
التنسيق
الفئة
كتب واقعية

कोरोना वायरस का संक्रमण पूरे संसार में फैलने और उसके द्वारा हज़ारों लोगों की मृत्यु के साये में अचानक हम सबकी ज़िंदगी पूरी तरह बदल गयी है. हम सबको अपने घरों में ख़ुद को सीमित करके इसकी रोकथाम करने की ज़रूरत है. इस महामारी के कारणों, इसके फैलने और इससे बचाव पर हमने नार्वे में रहने वाले भारतीय मूल के रेडियोलोजिस्ट और हिंदी लेखक डॉ. प्रवीण झा से बात की. डॉ. प्रवीण सम्प्रति नॉर्वे के कॉन्ग्सबर्ग (Kongsberg) में विशेषज्ञ चिकित्सक (रेडियोलॉजिस्ट, हेल्सेहुसे कॉन्ग्सबर्ग, Helsehuset Kongsberg) हैं. इसके पूर्व वह पुणे, अमरीका, दिल्ली, और बेंगलुरू में भिन्न-भिन्न अस्पतालों में कार्य कर चुके हैं. वह स्वास्थ्य और अन्य विषयों पर स्तंभ लिखते रहे हैं. उनकी पुस्तकें ‘कुली लाइन्स’ (वाणी प्रकाशन) और ‘वाह उस्ताद’ (राजपाल प्रकाशन) चर्चा में रही हैं. एक डॉक्टर के रूप में वे इसकी रोकथाम से सीधे जुड़े हुए हैं. अपना ख़याल रखिये. हम सब मिलकर इस आपदा को परास्त करेंगे. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.


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