3.9
Lyric Poetry
फ़िराक़ की माँ कहती थीं कि बचपन की मासूमियत में भी फ़िराक़ इसका इन्तेख़ाब करते थे कि किसकी गोद में जाना है और किससे गुरेज़ करना है। अगर यक़ीन किया जाये तो फ़िराक़ में हुस्न की एक फ़ितरी परख थी जो आगे चल कर इल्मी और अदबी शऊर का ज़रिया बन गयी।
Written by Mohd Aqib
Release date
Audiobook: 6 September 2021
3.9
Lyric Poetry
फ़िराक़ की माँ कहती थीं कि बचपन की मासूमियत में भी फ़िराक़ इसका इन्तेख़ाब करते थे कि किसकी गोद में जाना है और किससे गुरेज़ करना है। अगर यक़ीन किया जाये तो फ़िराक़ में हुस्न की एक फ़ितरी परख थी जो आगे चल कर इल्मी और अदबी शऊर का ज़रिया बन गयी।
Written by Mohd Aqib
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Audiobook: 6 September 2021
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