किसी स्थान में एक बहुत बड़ा बरगद का पेड़ था। वहाँ एक कौआ और कौवी रहते थे। कौवी जब भी अंडे देती पेड़ के नीचे बिल में रहने वाला काला सांप उन अंडों को खा जाता। इस बात से दुखी होकर वो अपने मित्र सियार के पास जाकर बोले, “मित्र! ऐसी परिस्थिति में हमें क्या करना चाहिए? हम उस भयानक सांप से अपने बच्चों की रक्षा कैसे करें, इसका कुछ उपाय बताइये।“
सियार ने कौवे की बात सुनकर उससे कहा, “जिस शत्रु से लड़कर नहीं जीता जा सकता, उससे चतुराई से जीतना चाहिए। हमें इस सांप से मुक्ति का कुछ उपाय सोचना पड़ेगा।“ सियार ने कौआ और कौवी को सांप को मारने का एक उपाय सुझाया।
सियार की बात मानकर कौआ और कौवी किसी धनवान व्यक्ति को ढूंढने लगे। उनकी दृष्टि पास में ही तालाब पर नहाते हुए राजा पर पड़ी। राजा के वस्त्र और आभूषण तालाब के किनारे पर रखे हुए थे। कौवी ने एक सोने का हार अपनी चोंच में दबाया और उड़ गया। राजा के रक्षक उसके पीछे-पीछे भागे। कौवी ने वह हार बरगद के पेड़ के नीचे के सांप के बिल में डाल दिया।
जब सैनिक वह हार लेने के लिए बिल के पास गए तो उन्हें भयानक काला सांप दिखा। सैनिकों ने उस सांप को मार डाला और हार लेकर चले गए।
इस प्रकार सांप के मर जाने के बाद कौआ और कौवी अपने घोंसले में सुख से रहने लगे।
इसीलिए कहते हैं कि जो काम चतुराई से हो सकता है वहाँ बल प्रयोग नहीं करना चाहिए। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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