कोरोना का इलाज ढूंढने में कहां तक पहुंची दुनिया, हमें कब तक मिलेगी वैक्सीन?

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Episode
175 of 376
Duration
15min
Language
Hindi
Format
Category
Non-Fiction

यूके की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में एक टीम पिछले तीन महीने से कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन बनाने के लिए काम रही थी, जिसे UK गवर्नमेंट ने इंसानो पर आज़माने की इजाज़त दे दी थी. डॉ एलिसा ग्रानटो वो पहली इंसान हैं जिन्होंने खुद को इस ट्रायल के लिए पेश किया और उन पर कोरोना का वैक्सीन आजमाया गया. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर और कोरोना वायरस के लिए वैक्सीन बना रही इस रिसर्च टीम की प्रमुख सारा गिल्बर्ट का कहना है कि उन्हें इस बात पर 80 प्रतिशत विश्वास है कि जो वैक्सीन उनकी टीम बना रही, वो लोगों को इस संक्रमण से बचा सकती है,और सितंबर तक तैयार भी हो सकती है.

भारत में पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट, ऑक्सफ़ोर्ड की इस टीम के साथ मिल कर काम कर रही है. 54 साल पुरानी इस फर्म को दुनिया का वैक्सीन मेकर भी कहा जाता है क्यूंकि ये कंपनी 165 देशो को 20 बीमारियों के लिए वैक्सीन प्रोवाइड करती है. इस कंपनी के पुणे स्थित प्लांट में अगले महीने से कोरोनावायरस के लिए वैक्सीन बनाने का काम शुरू हो जायगा। लेकिन अगर वैक्सीन जाएगी तो आम आदमी तक कैसे पहुँच पाएगी? सरकारें इसके प्रोडक्शन और मैनुफ़ैक्चरिंग को लेकर क्या सोच रही हैं? ये इस वक्त पूरी दुनिया का सबसे बड़ा सवाल है.

आज बिग स्टोरी में कोरोनावायरस की वैक्सीन से जुड़े मुद्दों के बारे में जानने के लिए सुनिए दुनिया के जानेमाने डॉक्टर,और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉक्टर मैथ्यू वर्गिस और क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया को. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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