जहाँ सरकार कहती है 'सोशल डिस्टन्सिंग करो, यही एक तरीका है कोरोनावायरस को फैलने से रोकने का', वही ट्रकों में भर भर के लोग कर्फ्यू तोड़ के निकल गए हैं और दलील दे रहे हैं कि बीमारी से मरे ना मरें लेकिन ना गए तो भूख से मर जाएंगे. जान हथेली पर रखकर जैसे-तैसे तरीकों से अपने घरों के लिए निकले ये लोग दूसरों के लिए भी खतरा हैं. क्या रास्ते में इनके लिए कुछ इंतजाम हैं? सरकारों ने जो घोषनाएं की हैं वो उन मजदूरों तक पहुंचेंगी भी या नहीं? एक्सपर्टंस की लगातार दलील है कि लॉकडाउन असरदार नहीं होगा अगर दिहाड़ी मजदूरों का ख्याल ना रखा गया तो. आज इस पॉडकास्ट में यही सब जानेंगे.
आज बिग स्टोरी में सुनिए सेंटर फॉर पालिसी एंड रिसर्च की मुक्ता नायक से जिन्होंने लॉकडाउन की वजह से दिल्ली में प्रवासी मज़दूरों का क्या हाल है उस पर ग्राउंड रिपोर्ट की है.
एडिटर : संतोष कुमार प्रोड्यूसर: फबेहा सय्यद Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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