श्री कृष्ण के हाथों कंस की हत्या का बदला लेने के लिए क्रोध में अंधे होकर जरासन्ध ने मथुरा पर हमला करने का निर्णय लिया।
जरासन्ध ने अपनी सेना के साथ मथुरा को घेर लिया और श्रीकृष्ण तथा बलराम को युद्ध के लिए ललकारा। मथुरा की जनता ने श्रीकृष्ण और बलराम का पराक्रम पहले भी देखा था इसलिए वो सभी निश्चिन्त थे।
श्रीकृष्ण और बलराम ने अपनी यदु सेना को जरासन्ध की सेना के समक्ष लाकर खड़ा कर दिया। इतनी बड़ी संख्या में होने के बावजूद भी मगध की सेना के पास श्रीकृष्ण और बलराम जैसा युद्ध कौशल नहीं था।
जैसे ही जरासन्ध और बलराम का आमना-सामना हुआ तो जरासन्ध को बलराम एक ऐसे नौजवान लड़के की तरह लगे जिनका उसके सामने कोई मुक़ाबला नहीं था। इसीकारण जरासन्ध ने बलराम को द्वन्द्व युद्ध की चुनौती दी। बलराम को जरासन्ध से द्वन्द्व युद्ध के लिए उतावला देखकर श्रीकृष्ण के चेहरे पर मुस्कान आ गई। दोनों योद्धा लड़ने लगे और कुछ ही समय में बलराम ने जरासन्ध को परास्त कर दिया।
जैसे ही बलराम, जरासन्ध को ज़मीन पर पटककर अपनी गदा से उसपर हमला करने वाले थे, तभी उन्होंने एक आवाज़ सुनी, "रुकिए दाऊ!"
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