Phantom PandeyBookMyShow Jukebox
तन्वी आनंद बच्चों की तरह एक दूसरे से बस लड़े जा रहे थे ,आर्यन के समझाने का कोई भी फायदा नहीं होता है उन दोनों की लड़ने की आवाज सुन वहां पर लक्ष्मी वर्मा आती हैं और कहती हैं कि लाजमी है जहां पर आनंद और तन्वी हो वहां पर झगड़ा होगा ही और मैं जितना आनंद को जानती हूं अच्छे तरीके से, उतनेही अच्छे तरीके से मैं तन्वी को भी जानती हूं। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
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