خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
4.3
تطوير الذات
हर लाइलाज बीमारी का इलाज आपके अंतर्मन में है
खास, बिंदास जीवन का राज़
पुरानी कहावत है- जन्म से पूर्व ईश्वर बच्चे के कान में कहता है, ‘मैंने तुम्हें अपनी तरह बनाया है; इसे आज की भाषा कहा जाएगा, ‘तुम खास हो, बिंदास हो’ यानी बिन दास, बिन दास्य, बिना गुलामी के।
इंसान सबसे बड़ा गुलाम अपने शरीर का, अपनी इंद्रियों का है। इंद्रियों का गुलाम बनकर वह तरह-तरहके विकारों से शरीर को कूड़ादान बना देता है। जब इंसानी जन्म का असली उद्देश्य मालूम पड़ता है तो वह इस गुलामी से मुक्त होना चाहता है। जब जागृति आती है तो अंदर भरे कचरे को वह खाली करना चाहता है। फिर शुरुआत होती है ‘बिंदास’ यानी बिना किसी का दास बने, आज़ाद जीवन की। यह आ
ज़ाद जीवन विकारों के कैद से आज़ादी की अवस्था है, जो थोड़ी सी जागृति के साथ हर कोई पा सकता है। यह संदेश आपको खाली होने की कला सिखाएगी, जिससे आप मन की गुलामी पर मात कर, एक तनावमुक्त, बिंदास जीवन जी पाएँगे। इसमें हम जानेंगे -
* सेल्फ डेवलपमेंट से सेल्फ रियलाइजेशन कैसे पाएँ
* ध्यान के साथ कर्म कैसे करें
* अपनी मौलिकता कैसे सँभालें
* हर लाइलाज बीमारी का इलाज क्या है...
और ऐसी कई अनोखी बातें, जो आपको तनावमुक्त, बिंदास जीवन की ओर ले जाएँगी।
© 2020 WOW Publishings (دفتر الصوت ): 9781094287430
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 6 أبريل 2020
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