3.5
سير وتراجم
बेमिसाल हिंदी कवि मुक्तिबोध की यह जीवनकथा हमारा परिचय उस व्यक्ति से कराती है जो जीवन के तमाम संघर्षों के बीच दुनिया को बेहतर कैसे बनाया जाय के विराट प्रश्न से जूझता है और किसी भी समय अपने निजी जीवन के उतार चढ़ाव को दुनिया और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेवारी के आड़े नहीं आने देता. एक महान लेखक के जीवन और मन के भीतर उतरने वाली यह किताब अपने समय का भी एक बारीक और गहरा दस्तावेज़ है.
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 31 أغسطس 2020
الوسوم
3.5
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बेमिसाल हिंदी कवि मुक्तिबोध की यह जीवनकथा हमारा परिचय उस व्यक्ति से कराती है जो जीवन के तमाम संघर्षों के बीच दुनिया को बेहतर कैसे बनाया जाय के विराट प्रश्न से जूझता है और किसी भी समय अपने निजी जीवन के उतार चढ़ाव को दुनिया और समाज के प्रति अपनी ज़िम्मेवारी के आड़े नहीं आने देता. एक महान लेखक के जीवन और मन के भीतर उतरने वाली यह किताब अपने समय का भी एक बारीक और गहरा दस्तावेज़ है.
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خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
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