4.6
كتب الأطفال
सुप्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति एक उम्दा उपन्यासकार तो हैं ही, बेजोड़ कहानीकार भी हैं। कहानी कहने की अपनी कुशल क्षमताओं के आधार पर एक प्यारी बिटिया नूनी को केंद्र में रखकर समाज की विभिन्न स्थितियों पर दृष्टि डालती रोचक एवं पठनीय कहानियों का संकलन। सुधा मूर्ति सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रावृत्तांत, कहानीसंग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
"आजी, तुम कामधेनु को यह क्यों खिला रही हो?’’ ‘‘इससे उसे प्रसव में आराम मिलेगा।’’ ‘‘मगर यदि वह प्रसव करने वाली है, तब हमें उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास चलना चाहिए। तुम घर पर उसकी ठीक तरह से देखभाल नहीं कर सकती हो।’’ आजी ने धैर्यपूर्वक जवाब दिया, ‘‘नूनी, हमारा पशु चिकित्सक सप्ताह में एक बार ही यहाँ आता है। इसलिए हमने तैयबा को बुलाया है। उसे इस विषय में अच्छा अनुभव है और वह एक पशु चिकित्सक के बराबर ही है।’’ जैसे ही आजा वहाँ से गुजरे, आजी ने उनसे कहा कि देखना, कामधेनु दूसरी गायों के साथ बाहर न जाए और उसके लिए हरी घास का इंतजाम कर देना। हमें उसके प्रसव के लिए उसके शेड की भी अच्छी तरह सफाई करवा देनी चाहिए। बाद में हमें पैदा होने वाले बछड़े की सफाई के लिए एक बड़े ड्रम में पानी की भी जरूरत होगी। आजा ने सहमति से अपना सिर हिलाया। —इसी संग्रह से.
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 26 يونيو 2020
الوسوم
4.6
كتب الأطفال
सुप्रसिद्ध लेखिका सुधा मूर्ति एक उम्दा उपन्यासकार तो हैं ही, बेजोड़ कहानीकार भी हैं। कहानी कहने की अपनी कुशल क्षमताओं के आधार पर एक प्यारी बिटिया नूनी को केंद्र में रखकर समाज की विभिन्न स्थितियों पर दृष्टि डालती रोचक एवं पठनीय कहानियों का संकलन। सुधा मूर्ति सुधा मूर्ति का जन्म सन् 1950 में उत्तरी कर्नाटक के शिग्गाँव में हुआ था। इन्होंने कंप्यूटर साइंस में एम.टेक. किया और अब इन्फोसिस फाउंडेशन की अध्यक्षा हैं। अंग्रेजी और कन्नड़ की एक बहुसर्जक लेखिका। इन्होंने उपन्यास, तकनीकी पुस्तकें, यात्रावृत्तांत, कहानीसंग्रह, कथेतर रचनाएँ तथा बच्चों के लिए अनेक पुस्तकें लिखी हैं। इनकी अनेक पुस्तकों का भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है और पूरे देश में उनकी 4 लाख से अधिक प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इन्हें सन् 2006 में साहित्य के लिए ‘आर.के. नारायण पुरस्कार’ और ‘पद्मश्री’ तथा 2011 में कन्नड़ साहित्य में उत्कृष्टता के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा ‘अट्टिमब्बे पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
"आजी, तुम कामधेनु को यह क्यों खिला रही हो?’’ ‘‘इससे उसे प्रसव में आराम मिलेगा।’’ ‘‘मगर यदि वह प्रसव करने वाली है, तब हमें उसे लेकर पशु चिकित्सक के पास चलना चाहिए। तुम घर पर उसकी ठीक तरह से देखभाल नहीं कर सकती हो।’’ आजी ने धैर्यपूर्वक जवाब दिया, ‘‘नूनी, हमारा पशु चिकित्सक सप्ताह में एक बार ही यहाँ आता है। इसलिए हमने तैयबा को बुलाया है। उसे इस विषय में अच्छा अनुभव है और वह एक पशु चिकित्सक के बराबर ही है।’’ जैसे ही आजा वहाँ से गुजरे, आजी ने उनसे कहा कि देखना, कामधेनु दूसरी गायों के साथ बाहर न जाए और उसके लिए हरी घास का इंतजाम कर देना। हमें उसके प्रसव के लिए उसके शेड की भी अच्छी तरह सफाई करवा देनी चाहिए। बाद में हमें पैदा होने वाले बछड़े की सफाई के लिए एक बड़े ड्रम में पानी की भी जरूरत होगी। आजा ने सहमति से अपना सिर हिलाया। —इसी संग्रह से.
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 26 يونيو 2020
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خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
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مثير للمشاعر
غني المعلومات
دافيء
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