خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
‘कैकेयी’ केकेय देश के राजा अश्वपति और शुभलक्षणा की कन्या एवं कौशलनरेश दशरथ की कनिष्ठ, किंतु अत्यंत प्रिय पत्नी का नाम है. उनके गर्भ से भरत का जन्म हुआ था. जब राजा दशरथ देव दानव युद्ध में देवताओं के सहायतार्थ गए थे, तब कैकेयी भी उनके साथ गई थीं. युद्ध में दशरथ के रथ का धुरा टूट गया, उस समय कैकेयी ने धुरे में अपना हाथ लगाकर रथ को टूटने से बचाया और दशरथ युद्ध करते रहे. युद्ध समाप्त होने पर जब दशरथ को इस बात का पता लगा तो प्रसन्न होकर कैकेयी को दो वर माँगने के लिए कहा. कैकेयी ने मंथरा के बहकावे में आकर राम को वनवास और भारत को राज्याभिषेक मांगा. तदनुसार राम वन को गए पर भरत ने राज्य ग्रहण करना स्वीकार नहीं किया, उन्होंने माता की भर्त्सना की और राम को लौटा लाने के लिए वन गए. उस समय कैकेयी भी उनके साथ गई. यह पुस्तक कैकेयी के जीवन का उपन्यासिक शैली में सुन्दर प्रस्तुतीकरण है।"
© 2019 Storyside IN (دفتر الصوت ): 9789353813154
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 18 ديسمبر 2019
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