كتب الناشئة
विरजन ने पूछा- तुम मुझसे क्यों रुष्ट हो? मैंने कोई अपराध किया है? प्रताप- न जाने क्यों अब तुम्हें देखता हूं, तो जी चाहता है कि कहीं चला जाऊं। विरजन- क्या तुमको मेरी तनिक भी मोह नहीं लगती? मैं दिन-भर रोया करती हूं। तुम्हें मुझ पर दया नहीं आती? तुम मुझसे बोलते तक नहीं। बतलाओ मैंने तुम्हें क्या कहा जो तुम रूठ गये? प्रताप- मैं तुमसे रूठा थोड़े ही हूं। विरजन- तो मुझसे बोलते क्यों नहीं? प्रताप- मैं चाहता हूं कि तुम्हें भूल जाऊं। तुम धनवान हो, तुम्हारे माता-पिता धनी हैं, मैं अनाथ हूं।
© 2020 Prabhakar Prakshan (كتاب ): 9789389851601
تاريخ الإصدار
كتاب : 15 أكتوبر 2020
كتب الناشئة
विरजन ने पूछा- तुम मुझसे क्यों रुष्ट हो? मैंने कोई अपराध किया है? प्रताप- न जाने क्यों अब तुम्हें देखता हूं, तो जी चाहता है कि कहीं चला जाऊं। विरजन- क्या तुमको मेरी तनिक भी मोह नहीं लगती? मैं दिन-भर रोया करती हूं। तुम्हें मुझ पर दया नहीं आती? तुम मुझसे बोलते तक नहीं। बतलाओ मैंने तुम्हें क्या कहा जो तुम रूठ गये? प्रताप- मैं तुमसे रूठा थोड़े ही हूं। विरजन- तो मुझसे बोलते क्यों नहीं? प्रताप- मैं चाहता हूं कि तुम्हें भूल जाऊं। तुम धनवान हो, तुम्हारे माता-पिता धनी हैं, मैं अनाथ हूं।
© 2020 Prabhakar Prakshan (كتاب ): 9789389851601
تاريخ الإصدار
كتاب : 15 أكتوبر 2020
خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
لا توجد تعليقات بعد
قم بتنزيل التطبيق للانضمام إلى المحادثة وإضافة مراجعات.
عربي
الإمارات العربية المتحدة