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História
‘जिस जाति की सभ्यता जितनी पुरानी होती है, उसकी मानसिक दासता के बन्धन भी उतने ही अधिक होते हैं। भारत की सभ्यता पुरानी है, इसमें तो शक ही नहीं और इसलिए इसके आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावटें भी अधिक हैं। मानसिक दासता प्रगति में सबसे अधिक बाधक होती है।’ राहुल सांकृत्यायन की पुस्तक ‘ दिमाग़ी गुलामी’ का यह शुरुआती अंश है।
यह जैसे-जैसे आगे बढ़ता है, वह मनुष्य के भ्रम की शल्यचिकित्सा करते चले जाते हैं। हम भूत पर उंगली तो रखते हैं, लेकिन भविष्य पर दृष्टि नहीं। वह समझाते हैं कि किस तरह मनुष्य अनेक तरह के संकीर्ण विचारों की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। यह बेड़ियाँ राष्ट्रवाद, प्रांतवाद, क्षेत्रवाद, जातिवाद, नृजातीय संघर्ष आदि हैं। यह संकीर्ण विचार ही मनुष्य से मनुष्य में आपसी झगड़े का कारण बन रहे हैं और देश के विकास में बाधक हैं। इसलिए इन अनर्गल विचारों से मुक्ति ही मानसिक दासता की बेड़ियों को तोड़ने के समान है।
© 2024 Sanage Publishing House (Ebook): 9789362053152
Data de lançamento
Ebook: 29 de junho de 2024
Tags
Português
Brasil