भारत-चीन: 'इकनोमिक बायकाट' कहने और करने में क्या है अंतर?

भारत-चीन: 'इकनोमिक बायकाट' कहने और करने में क्या है अंतर?

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Episode
213 of 376
Duration
15min
Language
Hindi
Format
Category
Non-Fiction

15-16 जून की दरम्यानी रात लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए. हमारे जवानों ने चीन को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचाया और उसके 43 सैनिक मारे गए. तिरंगे में लिपटे अपने जवानों के पार्थिव शरीरों को देखकर पूरे देश में गुस्से का लावा फूटना लाजिमी था. घटना के बाद से देश भर में शोक और आक्रोश है, देश भर से चीनी प्रोडक्ट्स का बहिष्कार करने की बातें की जा रही हैं. प्रधान मंत्री ने खुद कहा कि भारत उकसाने पर हर हाल में जवाब देने में सक्षम है. तो ये दबाव किस रूप में होगा? डिप्लोमेसी के जरिए, फौजी ताकत के जरिए, या चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाकर, चीन में बने सामान का बहिष्कार कर के?

भारत और चीन के बीच मौजूदा विवाद का सबसे बड़ा सवाल यही है कि आखिरकार हम चीन को अलग-थलग करने के जो दावे कर रहे हैं उन्हें अमलीजाना भी पहनाया जा रहा है या सिर्फ बातें हैं. इसी पर आज पॉडकास्ट में बात करेंगे सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च के स्ट्रेटेजिक स्टडी के प्रोफेसर ब्रह्म चलानी से और क्विंट के एडिटोटियाल डाइरेक्टर संजय पुगलिया से जानेंगे की चीन से इकनोमिक दूरी बना पाना भारत के लिए कितना प्रैक्टिकल है. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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