मीरा ने मिशा से ये बात की अब तुम घर हो और डरने की भी कोई बात नहीं है तो अब वहां से जाना चाहती थी उसने उसे कहा कि उसे दिल्ली के लिए निकलना है जहां उसे कुछ काम है और अब मिशा को भी किसी चीज का डर नहीं था क्योंकि वह अपने घर पर थी पर भी मीरा को वहां से जाने नहीं देना चाहता था उसका मिशा को बचाना उन सभी पर बहुत बड़ा एहसान हो गया था मेरा से जीत के डैड ने कुछ देर तक बात की उसे सारी डिटेल्स ली और उसे अपनी कंपनी में जॉब ऑफर की पर पहले मीरा इस बात से मना कर दिया पर जीत के और उसके डैड के थोड़ा मनाने पर वो जाॅब के लिए हो गई थी और इसके बाद उसने यह डिसाइड किया कि वह उसे दिन वही उनके घर पर रुकेगी और अगले दिन जीत के साथ ही दिल्ली चली जाएगी जीत भी मीरा को अपनी कंपनी में जॉब तो दे रहा था पर उसे अभी उसे पर इतना यकीन नहीं था उसे बात समझ नहीं आ रही थी कोई भी ऐसी परिस्थिती में कैसे किसी और की मदद कर सकता है और खुद इतना शांत रह सकता है कि वह अपने बारे में ना सोचे और खुद को किसी चीज में फंसा दे वह भी किसी अनजान के लिए जीत को अभी यह लग रहा था की मीरा जैसे दिख रही है शायद वह वैसी है नहीं तो क्या होगा जब मीरा जीत के साथ काम करेगी और क्या जीत इन तीनों मर्डर के बारे में और भी सारी चीज पता कर पाएगा और क्या वह अपनी बहन को इन सब चीजों से बाहर निकल पाएगा
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