46: कुमांउनी महक, किस्सों और अनुवाद से प्यार पर इरा पांडे से एक गुफ्तगू

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Episode
46 of 116
Duration
37min
Language
Hindi
Format
Category
Non-Fiction

किस्से-कहानियां साहित्य का अभिन्न अंग रही हैं और साहित्य से किसी भी इन्सान का पहला लगाव उन्हीं किस्सों के माध्यम से होता है, जो उसने अपनी दादी/नानी से सुनी होती हैं. ये किस्से इतिहास की वाचिक परम्परा का ही हिस्सा होते हैं. वो इतिहास जो जाने-अनजाने हमारे मन में घर कर, यादों का एक ऐसा नगर बसा देता है, जो ताउम्र हमें घेरे रहता है. किस्सों की ये गली जब खुलती है तो कहने वाला और सुनने वाला दोनों ही एक अनजान जगह पर घूम आते हैं. ऐसे ही कुछ दिलचस्प किस्से हमें सुना रही हैं हमारी आज की मेहमान. उन्होंने ये किस्से अपनी मां शिवानी से सुने थे. वही शिवानी, जो हमें कृष्णकली, कालिंदी, अतिथि, पूतों वाली, श्मशान चंपाइत्यादि के रूप में याद हैं. हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता,आज के इस पोडकास्ट में इरा पांडेसेइन क़िस्सों और उनकीकुमांउनी महक पर बात कर रही हैं. इरा ने सेमिनार, Biblio, Dorling Kindersley और रोली बुक्स के लिए संपादन किया है. आप IIC पब्लिकेशन की चीफ एडिटर भी रह चुकी हैं. माँ शिवानी पर लिखी आपकी किताब ‘दिद्दी’ और मनोहर श्याम जोशी के उपन्यास‘ट’टा प्रोफेसर’ का आपका अनुवाद बहुत प्रसिद्ध हुए हैं. इनके अलावा आपने और बहुत सी किताबों का अनुवाद किया है औरफिल्मों और टेलीविजन के लिए भी काम किया है. जिनमें ‘मानसून वेडिंग’ और टीवी सीरिज ‘आज की नारी’ (1998) का जिक्र किया जा सकता है. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें'कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.


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