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प्रख्यात सिनेमा विशेषज्ञ और समीक्षक अजय ब्रह्मात्मज ने अपने बरसों से काम से हिंदी में फ़िल्म समीक्षा और फ़िल्म पर बातचीत का एक व्याकरण और माहौल विकसित किया है. वे अपने बेबाक़ अन्दाज़ और ठोस कहन के लिए जाने जाते हैं. दैनिक जागरण में एक लम्बी पारी खेलने के बाद आजकल वे डिजिटल माध्यमों में स्वतंत्र प्रयोग कर रहे हैं. इस बातचीत में वे पिछले बीस साल में सिनेमा पर बात करने, उसे रिव्यू करने के तरीक़ों पर खुल कर अपनी राय साझा कर रहे हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.
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