Corona Mahamari ke Paath - The book series

Series
10
Total Duration
2H 36min
Category
Religion & Spirituality
Language
Hindi
Format

इस महामारी ने निर्ममता से हमारे भीतर के जीवन की न जाने कितनी पर्तें जैसे, सम्बंध-हीनता, भय, अवसाद, बेहोशी इत्यादि उघाड़ दी हैं। वे सब पर्तें अस्तित्व के विपरीत चल रहे हमारे जीवन के कारण ही जमती जा रही थीं। महामारी ने हमें बाध्य किया है कि, हम समय रहते अपने राह भटक चुके जीवन को होश में आकर देखें!

यह जगत अखंड है। बाहर प्रकृति तो एक दूसरे से जुड़ी ही है, भीतर क्या हम अलग व्यक्ति हैं? पूरी पृथ्वी पर क्या यह एक ही ‘मैं ढंग’ बिना त्रुटि के एक समान काम नहीं करता है? क्या हम एक ही तरह से अकेलेपन के बोध से नहीं भरते?

एक ही ‘मैं’ का तिलिस्म अरबों खरबों ढंग से मनुष्य चेतना को मथता चलता है। वही ‘मैं’ जिसने राष्ट्रों को खड़ा किया है। वही ‘मैं’ जिससे संगठित धर्म खड़े हुए हैं। वही ‘मैं’ जिसने मनुष्य के बीच भीषण युद्धों को जन्म दिया है। यह हमारे विचारों की, ‘मैं’ की ज़हरीली संरचना है, जिसने प्रकृति पर यानि स्वयं पर भयंकर कुठाराघात किया है। यह महामारी किसी अन्य की नहीं निपट मेरी आपकी कारस्तानी का फल है। यह अस्तित्व इस महामारी से हमें पाठ पढ़ा रहा है कि, हम अपने मूल अस्तित्व के विपरीत आचरण को समझें और उस समझ से ही उस आचरण को जलते अंगारे की तरह त्याग दें!

अस्तित्व के जो पाठ हम इस महामारी से सीख सकते है उसे हम इस सीरीज में आगे आने वाली कड़ियों में समझने का प्रयास करेंगे.

Corona Mahamari ke Paath books in order

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