एकलव्य महाभारत का एक पात्र है। वह राजा हिरण्य धनु नामक निषाद के पुत्र थे। एकलव्य का मूल नाम अभिद्युम्न था। एकलव्य को अप्रतिम लगन के साथ स्वयं सीखी गई धनुर्विद्या और गुरुभक्ति के लिए जाना जाता है। पिता की मृत्यु के बाद वह श्रृंगबेर राज्य के शासक बने। अमात्य परिषद की मंत्रणा से उनहोने न केवल अपने राज्य का संचालन किया , बल्कि निषादों की एक सशक्त सेना गठित कर के अपने राज्य की सीमाओँ का विस्तार किया।
कथा के अनुसार एकलव्य ने गुरुदक्षिणा के रूप में अपना अँगूठा काटकर द्रोणाचार्य को दे दिया था। कहते हैं कि अंगूठा कट जाने के बाद एकलव्य ने तर्जनी और मध्यमा अंगुली का प्रयोग कर तीर चलाने लगा। यहीं से तीरंदाजी करने के आधुनिक तरीके का जन्म हुआ। निःसन्देह यह बेहतर तरीका है और आजकल तीरंदाजी इसी तरह से होती है।
Release date
Audiobook: November 11, 2020
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एकलव्य महाभारत का एक पात्र है। वह राजा हिरण्य धनु नामक निषाद के पुत्र थे। एकलव्य का मूल नाम अभिद्युम्न था। एकलव्य को अप्रतिम लगन के साथ स्वयं सीखी गई धनुर्विद्या और गुरुभक्ति के लिए जाना जाता है। पिता की मृत्यु के बाद वह श्रृंगबेर राज्य के शासक बने। अमात्य परिषद की मंत्रणा से उनहोने न केवल अपने राज्य का संचालन किया , बल्कि निषादों की एक सशक्त सेना गठित कर के अपने राज्य की सीमाओँ का विस्तार किया।
कथा के अनुसार एकलव्य ने गुरुदक्षिणा के रूप में अपना अँगूठा काटकर द्रोणाचार्य को दे दिया था। कहते हैं कि अंगूठा कट जाने के बाद एकलव्य ने तर्जनी और मध्यमा अंगुली का प्रयोग कर तीर चलाने लगा। यहीं से तीरंदाजी करने के आधुनिक तरीके का जन्म हुआ। निःसन्देह यह बेहतर तरीका है और आजकल तीरंदाजी इसी तरह से होती है।
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