मूर्ख बन्दर

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Episode
2 of 25
Duration
1min
Language
Hindi
Format
Category
Children

एक नगर के पास किसी वैश्य के पुत्र ने पेड़ों की झुरमुट में मंदिर बनाना शुरू किया। उसमें जो कर्मचारी शिल्पी आदि थे, वे दोपहर के समय भोजन करने के लिए नगर में चले जाते थे। एक दिन बंदरों का एक दल इधर-उधर घूमता हुआ वहां आया। वहां किसी कारीगर का आधा चीरा हुआ किसी पेड़ की लकड़ी का स्तंभ बीच में खैर की खूंटी ठोंक कर खड़ा किया हुआ था। इसी समय वे बन्दर पेड़ों के ऊपर तथा लकड़ी के चारों ओर खेलने लगे। उनमें से एक बन्दर चंचलता के कारण उस आधे चीरे हुए स्तंभ पर बैठ गया और हाथ से उस खूंटी को पकड़कर उखाड़ने लगा। कील उखड़ते ही उस स्तंभ के छेद में लटकी हुई उसकी पूँछ दब गई, जिससे वह मर गया। इसीलिए कहते हैं कि,"बेकार के काम के बारे में सोचने से क्या लाभ।" Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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