जरासन्ध वध

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Episode
17 of 63
Duration
6min
Language
Hindi
Format
Category
Thrillers

श्रीकृष्ण और अर्जुन ने अग्नि देव की सहायता से खाण्डवप्रस्थ के जंगलों में लगी आग को बुझा लिया और उस आग से अपनी जान बचाए जाने के कारण मायासुर राक्षस ने पाण्डवों को इन्द्रप्रस्थ में अपनी राजधानी और एक शानदार महल बनाने में मदद की। मयासुर रावण का ससुर और एक बहुत ही कुशल वास्तुकार था।

सभी देवता, गन्धर्व, राजा और ऋषि इस शानदार महल को देखने के लिए आए और युधिष्ठिर ने उनका सत्कार किया। देवर्षि नारद जी की उपस्थिति में युधिष्ठिर के मन में राजसूय यज्ञ करने का विचार आया।

युधिष्ठिर ने अपने भाइयों और मंत्रियों से इस विषय में बात की और सभी मान गए लेकिन युधिष्ठिर श्रीकृष्ण से इस बात की सहमति चाहते थे। जैसे ही श्रीकृष्ण आए युधिष्ठिर ने उन्हें यज्ञ के विषय में बताया। तब श्रीकृष्ण बोले, "तुम्हारे भीतर इस यज्ञ को करने की सभी योग्यताएँ हैं लेकिन इससे पहले तुम्हें मगध के राजा जरासन्ध को ख़त्म करना होगा। वह पूरी पृथ्वी का शासक बनने हेतु महादेव को प्रसन्न करने के लिए एक यज्ञ करने जा रहा है। उसने बलि के लिए सैकड़ों राजाओं को बन्दी बनाकर रखा है। उसके जीवित रहते हुए तुम ये यज्ञ नहीं कर सकते क्योंकि वो कोई न कोई व्यवधान अवश्य उत्पन्न करेगा। बुराई के रास्ते पर चलने वाले जरासन्ध का अन्त होना अब आवश्यक हो चुका है।"

इसके बाद श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर और बाक़ी पाण्डवों से कहा, "हम उसे युद्ध के लिए नहीं ललकार सकते क्योंकि उसके पास विशाल सेना है। हम उसके पास ब्राह्मण का वेश धारण करके जाएँगे क्योंकि वो अभी भी ब्राह्मणों का सम्मान करता है। इस उद्देश्य के लिए अर्जुन और भीम तुम दोनों मेरे साथ आओगे। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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