3.8
الأدب الكلاسيكي
बाबा बटेसरनाथ कोई मनुष्य नहीं, बल्कि एक बूढ़ा बरगद है जिसके प्रति गाँव के लोगों की भावना वैसी ही है जैसी अपने किसी बड़े-बूढ़े के प्रति होती है, और इसीलिए वे लोग उस पेड़ को साधारण ‘बरगद’ नाम से नहीं, बल्कि आदरसूचक ‘बाबा बटेसरनाथ’ कहकर पुकारते हैं। यही बाबा बटेसरनाथ अपनी कहानी सुनाते-सुनाते पूरे गाँव की कहानी सुना जाते हैं, जिसकी कई पीढ़ियों के इतिहास के वे साक्षी रहे हैं. हिंदी में जनता के कवि नागार्जुन का एक अनूठा उपन्यास. ©Rajkamal Prakashan
© 2019 Storyside IN (دفتر الصوت
): 9789353645779
© 2018 Rajkamal Prakashan (كتاب
): 9788126705023
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت
: 12 أبريل 2019
كتاب
: 19 مايو 2018
الوسوم
3.8
الأدب الكلاسيكي
बाबा बटेसरनाथ कोई मनुष्य नहीं, बल्कि एक बूढ़ा बरगद है जिसके प्रति गाँव के लोगों की भावना वैसी ही है जैसी अपने किसी बड़े-बूढ़े के प्रति होती है, और इसीलिए वे लोग उस पेड़ को साधारण ‘बरगद’ नाम से नहीं, बल्कि आदरसूचक ‘बाबा बटेसरनाथ’ कहकर पुकारते हैं। यही बाबा बटेसरनाथ अपनी कहानी सुनाते-सुनाते पूरे गाँव की कहानी सुना जाते हैं, जिसकी कई पीढ़ियों के इतिहास के वे साक्षी रहे हैं. हिंदी में जनता के कवि नागार्जुन का एक अनूठा उपन्यास. ©Rajkamal Prakashan
© 2019 Storyside IN (دفتر الصوت
): 9789353645779
© 2018 Rajkamal Prakashan (كتاب
): 9788126705023
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت
: 12 أبريل 2019
كتاب
: 19 مايو 2018
الوسوم
خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
التقييم الإجمالي استنادًا إلى تقييمات :reviewالعد
مثير للمشاعر
دافيء
محفّز
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