3.9
الأدب الكلاسيكي
जब बाबूराव बागुल की आत्मकथा सबसे पहले उनकी मातृभाषा मराठी में प्रकाशित हुई थी तो उसने मराठी साहित्य और समाज को झकझोर दिया था. भारतीय समाज में जाति पर आधारित दमन और अपमान की साहसभरी कथा कहने कहने वाले यह पुस्तक अब एक क्लासिक मानी जाती है और दलित साहित्य में मील का पत्थर. उत्कृष्ट हिंदी अनुवाद में. ©Samvad Prakashan
© 2018 Storyside IN (دفتر الصوت ): 9789353642334
المترجمون : Sanjya Bhise
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 29 مارس 2018
الوسوم
3.9
الأدب الكلاسيكي
जब बाबूराव बागुल की आत्मकथा सबसे पहले उनकी मातृभाषा मराठी में प्रकाशित हुई थी तो उसने मराठी साहित्य और समाज को झकझोर दिया था. भारतीय समाज में जाति पर आधारित दमन और अपमान की साहसभरी कथा कहने कहने वाले यह पुस्तक अब एक क्लासिक मानी जाती है और दलित साहित्य में मील का पत्थर. उत्कृष्ट हिंदी अनुवाद में. ©Samvad Prakashan
© 2018 Storyside IN (دفتر الصوت ): 9789353642334
المترجمون : Sanjya Bhise
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت : 29 مارس 2018
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خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
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ملهم
مثير للمشاعر
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