خطوة إلى عالم لا حدود له من القصص
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क्या होता है जब बिहार में किसी भी थोड़े सम्पन्न परिवार में बच्चे का जन्म होता है? उसके जन्मते ही उसके बिहार छूटने का दिन क्यों तय हो जाता है? जब सभी जानते हैं कि मूंछ की रेख उभरने से पहले उसको अनजान लोगों के बीच चले जाना है— तब भी क्यों उसको गोलू-मोलू-दुलारा बना के पाला जाता है? वही ‘दुलारा बच्चा’ जब आख़िरकार ट्रेन में बिठाकर बिहार से बाहर भेज दिया जाता है तब क्या होता है उसके साथ? सांस्कृतिक धक्के अलग लगते हैं, भावनात्मक अभाव का झटका अलग— इनसे कैसे उबरता है वह? क्यों तब उसको किसी दोस्त में माशूका और माशूका में सारे जहाँ का सुकून मिलने लगता है? ‘एनआरबी’ के नायक राहुल की इतनी भर कहानी है— एक तरफ यूपीएससी और दूसरी तरफ शालू. यूपीएससी उसकी जिंदगी है, शालू जैसे जिंदगी की ‘जिंदगी’. एक का छूटना साफ़ दिखने लगता है और दूसरी किनारे पर टंगी पतंग की तरह है. लेकिन इसमें हो जाता है लोचा। क्या? सवाल बहुतेरे हैं. जवाब आपके पास भी हो सकते हैं.
© 2018 Storyside IN (دفتر الصوت
): 9780430014389
© 2018 Rajkamal Prakashan (كتاب
): 9788183617963
تاريخ الإصدار
دفتر الصوت
: 13 يناير 2018
كتاب
: 11 يونيو 2018
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