Kriminal
करीमगंज में छुट्टियाँ गुजार रहे अजय को करीब सात साल से लापता कुख्यात गैंगस्टर और वर्कर्स यूनीयन के सर्वेसर्वा मदन लाल सेठिया के दाएं हाथ दिनेश दत्त रहेजा का एक महीने में पता लगाने का काम सौंपा गया...। रहेजा विशालगढ़ से उस वक्त गायब हुआ जब सेठिया के खिलाफ इंक्वायरी कर रहे कमीशन ने उसे गवाही के लिए बुलाया था । रहेजा के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अजय ने अनुमान लगाया - रहेजा के हाथ में जरूर सेठिया की कोई कमजोर नस थी...।
न्यु लुक क्लब के मालिक नफीस अहमद और उसके प्यादे सका से तगड़ी झड़प के बाद अजय को पता चला नफीस अहमद वर्कर्स यूनियन का करीमगंज ब्रांच का इंचार्ज और प्रोफेशनल किलर था...। अजय ने उस पर भी अनुमान जाहिर करते हुए बता दिया सेठिया से मिलने जाएगा...।
अगले रोज बिशालगढ़ पहुंचा...उसी होटल राजदूत में डेरा जमाया जहां से रहेजा गायब हुआ था...सेठिया से मिला...उस पर भी अपना अनुमान जाहिर करके उसे झटका देने में कामयाब हो गया...इंक्वायरी कमीशन के मेंबर मिस्टर गोयल से लम्बी चर्चा के दौरान उसका अनुमान यकीन में बदल गया - रहेजा के पास सेठिया के खिलाफ जरूर कोई तगड़ा सबूत था...साथ ही अजय इस निष्कर्ष पर पहुंचा - रहेजा देश में ही कहीं छिपा होना चाहिये...होटल लौटते वक्त उसने नोट किया सेठिया का गनमैन जोसफ एक आदमी के साथ काली कार में उसका पीछा कर रहा था...।
होटल में पुराने बैल कैप्टेन और रहेजा के रूम सर्विस वाले बेयरे ने पैसों की एवज जो जानकारी दी उससे रहेजा के गायब होने का रहस्य समझ आ गया...फिर बेसमेंट का मुआयना करने और वॉचमैन से पूछताछ के बाद अजय के दिमाग में रहेजा के गायब होने के तरीके का खाका बनने लगा...लांड्री से पता चला 16 अगस्त 1981 की शाम को होटल से धुलाई के कपड़ों का गठ्ठर लाने वाले दोनों आदमी यूनीयन के मेंबर थे...उन्हें अगले रोज नौकरी से निकाल दिया गया फिर उनकी हत्या कर दी गई...अजय को यकीन हो गया उस रोज कपड़ों के गठ्ठर में छिपकर रहेजा होटल से गायब हुआ था...एयरपोर्ट से छानबीन करनेपर मिली जानकारी ने यकीन दिला दिया रहेजा ने 16 अगस्त 1981 को शाम छह बजकर बाइस मिनट की विश्वासनगर की फ्लाइट पकड़ी थी...उसी दिन साढ़ेचार बजे विश्वासनगर जानेवाली फ्लाइट में सवार अजय ने देखा - टेक ऑफ से मिनट भर पहले जोसफ भी उसी प्लेन में आ पहुंचा था...।
विश्वासनगर...होटल इम्पीरियल में ठहरे अजय ने देखा जोसफ की मदद के लिए नफीस अहमद भी आ पहुंचा था...अजय उन दोनों को चकमा देकर अपने सॉलिड कांटेक्ट सिल्वर क्वीन क्लब के मालिक दयाशंकर से मिला..रहेजा को तलाश करने के बारे में विस्तारपूर्वक बता दिया...। अगले रोज दयाशंकर ने जानकारी दी - रहेजा वहां आया था और उसे बुकी किंग अडवानी के पास भिजवा दिया गया...उसे अडवानी के विराटनगर से सलीमपुर तक के लम्बे-चौड़े इलाके में कहीं छिपा होना चाहिए...?
जोसफ पहले ही होटल छोड़कर प्लेन से विराटनगर रवाना हो चुका था...विराटनगर लौटते अजय के साथ अकेला नफीस अहमद ही प्लेन में सवार हुआ...। विराटनगर में...अपने दोस्त इंस्पैक्टर रविशंकर से अजय को पता चला - जोसफ पिछली शाम जिस बस में सवार हुआ वो टीकमगढ़ से तीस मील आगे नजीराबाद तक जाती है...।
अजय रहेजा तक पहुँच सका ???
© 2021 Aslan eReads (buku elektronik ): 9788195155354
Tanggal rilis
buku elektronik : 15 Juni 2021
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करीमगंज में छुट्टियाँ गुजार रहे अजय को करीब सात साल से लापता कुख्यात गैंगस्टर और वर्कर्स यूनीयन के सर्वेसर्वा मदन लाल सेठिया के दाएं हाथ दिनेश दत्त रहेजा का एक महीने में पता लगाने का काम सौंपा गया...। रहेजा विशालगढ़ से उस वक्त गायब हुआ जब सेठिया के खिलाफ इंक्वायरी कर रहे कमीशन ने उसे गवाही के लिए बुलाया था । रहेजा के बारे में जानकारी हासिल करने के बाद अजय ने अनुमान लगाया - रहेजा के हाथ में जरूर सेठिया की कोई कमजोर नस थी...।
न्यु लुक क्लब के मालिक नफीस अहमद और उसके प्यादे सका से तगड़ी झड़प के बाद अजय को पता चला नफीस अहमद वर्कर्स यूनियन का करीमगंज ब्रांच का इंचार्ज और प्रोफेशनल किलर था...। अजय ने उस पर भी अनुमान जाहिर करते हुए बता दिया सेठिया से मिलने जाएगा...।
अगले रोज बिशालगढ़ पहुंचा...उसी होटल राजदूत में डेरा जमाया जहां से रहेजा गायब हुआ था...सेठिया से मिला...उस पर भी अपना अनुमान जाहिर करके उसे झटका देने में कामयाब हो गया...इंक्वायरी कमीशन के मेंबर मिस्टर गोयल से लम्बी चर्चा के दौरान उसका अनुमान यकीन में बदल गया - रहेजा के पास सेठिया के खिलाफ जरूर कोई तगड़ा सबूत था...साथ ही अजय इस निष्कर्ष पर पहुंचा - रहेजा देश में ही कहीं छिपा होना चाहिये...होटल लौटते वक्त उसने नोट किया सेठिया का गनमैन जोसफ एक आदमी के साथ काली कार में उसका पीछा कर रहा था...।
होटल में पुराने बैल कैप्टेन और रहेजा के रूम सर्विस वाले बेयरे ने पैसों की एवज जो जानकारी दी उससे रहेजा के गायब होने का रहस्य समझ आ गया...फिर बेसमेंट का मुआयना करने और वॉचमैन से पूछताछ के बाद अजय के दिमाग में रहेजा के गायब होने के तरीके का खाका बनने लगा...लांड्री से पता चला 16 अगस्त 1981 की शाम को होटल से धुलाई के कपड़ों का गठ्ठर लाने वाले दोनों आदमी यूनीयन के मेंबर थे...उन्हें अगले रोज नौकरी से निकाल दिया गया फिर उनकी हत्या कर दी गई...अजय को यकीन हो गया उस रोज कपड़ों के गठ्ठर में छिपकर रहेजा होटल से गायब हुआ था...एयरपोर्ट से छानबीन करनेपर मिली जानकारी ने यकीन दिला दिया रहेजा ने 16 अगस्त 1981 को शाम छह बजकर बाइस मिनट की विश्वासनगर की फ्लाइट पकड़ी थी...उसी दिन साढ़ेचार बजे विश्वासनगर जानेवाली फ्लाइट में सवार अजय ने देखा - टेक ऑफ से मिनट भर पहले जोसफ भी उसी प्लेन में आ पहुंचा था...।
विश्वासनगर...होटल इम्पीरियल में ठहरे अजय ने देखा जोसफ की मदद के लिए नफीस अहमद भी आ पहुंचा था...अजय उन दोनों को चकमा देकर अपने सॉलिड कांटेक्ट सिल्वर क्वीन क्लब के मालिक दयाशंकर से मिला..रहेजा को तलाश करने के बारे में विस्तारपूर्वक बता दिया...। अगले रोज दयाशंकर ने जानकारी दी - रहेजा वहां आया था और उसे बुकी किंग अडवानी के पास भिजवा दिया गया...उसे अडवानी के विराटनगर से सलीमपुर तक के लम्बे-चौड़े इलाके में कहीं छिपा होना चाहिए...?
जोसफ पहले ही होटल छोड़कर प्लेन से विराटनगर रवाना हो चुका था...विराटनगर लौटते अजय के साथ अकेला नफीस अहमद ही प्लेन में सवार हुआ...। विराटनगर में...अपने दोस्त इंस्पैक्टर रविशंकर से अजय को पता चला - जोसफ पिछली शाम जिस बस में सवार हुआ वो टीकमगढ़ से तीस मील आगे नजीराबाद तक जाती है...।
अजय रहेजा तक पहुँच सका ???
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