Kriminal
सुरेश दुग्गल को यकीन था देवराज मेहता उसकी बीवी पर डोरे डाल रहा था। उसने राजेश के सामने एलान कर दिया- देवराज मेहता का खून कर देगा। सुधीर और राजेश उसे रोकने के लिए मेहता के निवास स्थान पर जा पहुंचे.... सुरेश पहले ही वहाँ पहुँच चुका था। स्टडी के अंदर से लाक्ड दरवाजे के पीछे फायर की आवाज गूँजी। सुधीर और राजेश ने एक साथ कंधे से जोरदार प्रहार किया। दरवाजा टूट गया... भीतर दाखिल होते ही बारूद की गंध उनके नथुनों से टकराई। काफी बड़े डेस्क के पीछे शानदार सूट पहने रिवाल्विंग चेयर पर देवराज मेहता मौजूद था- शरीर तनिक बांयी ओर झुका... सर कंधे पर ढलका हुआ... खुली आँखें निर्जीव... छाती पर बांयी तरफ कोट में साफ नजर आता सुराख.... वह मर चुका था। ठीक सामने डेस्क के पास खड़े सुरेश दुग्गल के दांये हाथ में थमें भारी रिवाल्वर से धूँए की पतली सी लकीर अभी भी निकल रही थी। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। आँखें सुलगती सी लग रही थीं। -“मैंने कहा था न खून कर दूँगा साले का।” उन दोनों की ओर पलटकर नफरत से पगे स्वर में बोला- “कर दिया।” जुर्म का इकबाल.... मौका ए वारदात पर रंगे हाथ मर्डर वैपन सहित पकड़ा जाना.... दो चश्मदीद गवाह... मर्डर का तगड़ा मोटिव भी...। तमाम सबूत ठोस और उसके खिलाफ। शक की कहीं कोई गुंजाइश नहीं.... सुरेश दुग्गल ने देवराज मेहता की हत्या की थी। वह खूनी था। लेकिन लाश के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ वो बेहद चौंका देने वाला था...। सुधीर और राजेश भी एकाएक विश्वास नहीं कर सके??? (रहस्य और रोमांच से भरपूर रोचक उपन्यास)
© 2021 Aslan eReads (buku elektronik ): 9789385898990
Tanggal rilis
buku elektronik : 12 Juni 2021
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सुरेश दुग्गल को यकीन था देवराज मेहता उसकी बीवी पर डोरे डाल रहा था। उसने राजेश के सामने एलान कर दिया- देवराज मेहता का खून कर देगा। सुधीर और राजेश उसे रोकने के लिए मेहता के निवास स्थान पर जा पहुंचे.... सुरेश पहले ही वहाँ पहुँच चुका था। स्टडी के अंदर से लाक्ड दरवाजे के पीछे फायर की आवाज गूँजी। सुधीर और राजेश ने एक साथ कंधे से जोरदार प्रहार किया। दरवाजा टूट गया... भीतर दाखिल होते ही बारूद की गंध उनके नथुनों से टकराई। काफी बड़े डेस्क के पीछे शानदार सूट पहने रिवाल्विंग चेयर पर देवराज मेहता मौजूद था- शरीर तनिक बांयी ओर झुका... सर कंधे पर ढलका हुआ... खुली आँखें निर्जीव... छाती पर बांयी तरफ कोट में साफ नजर आता सुराख.... वह मर चुका था। ठीक सामने डेस्क के पास खड़े सुरेश दुग्गल के दांये हाथ में थमें भारी रिवाल्वर से धूँए की पतली सी लकीर अभी भी निकल रही थी। उसका चेहरा गुस्से से तमतमा रहा था। आँखें सुलगती सी लग रही थीं। -“मैंने कहा था न खून कर दूँगा साले का।” उन दोनों की ओर पलटकर नफरत से पगे स्वर में बोला- “कर दिया।” जुर्म का इकबाल.... मौका ए वारदात पर रंगे हाथ मर्डर वैपन सहित पकड़ा जाना.... दो चश्मदीद गवाह... मर्डर का तगड़ा मोटिव भी...। तमाम सबूत ठोस और उसके खिलाफ। शक की कहीं कोई गुंजाइश नहीं.... सुरेश दुग्गल ने देवराज मेहता की हत्या की थी। वह खूनी था। लेकिन लाश के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में जो खुलासा हुआ वो बेहद चौंका देने वाला था...। सुधीर और राजेश भी एकाएक विश्वास नहीं कर सके??? (रहस्य और रोमांच से भरपूर रोचक उपन्यास)
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