सेवकों के प्रति व्यवहार

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Episode
9 of 20
Duration
1min
Language
Hindi
Format
Category
Thrillers

सेवकों के साथ अधिक हंसी-खेल नहीं करना चाहिये क्योंकि ऐसा करने से सेवक मुँहलगे हो जाते हैं और स्वामी का अपमान कर बैठते हैं। वे अपनी मर्यादा में स्थिर न रह कर आज्ञा की अवहेलना करने लग जाते हैं। ऐसे सेवक राजा को कोसते हैं, उसके प्रति क्रोध रखते हैं और गोपनीय बातों को उजागर कर सकते हैं। ऐसे सेवक दिये गए कार्य को अच्छे से नहीं करते और राज्य का अहित कर सकते हैं। ऐसे लोग राजा की मर्यादा का परिहास करते हैं और दूसरों के सामने राजा को अपनी कठपुतली बताते हैं।

एते चैवा परे चैव दोषाः प्रादुर्भवन्त्युत।

नृपतौ मार्दवोपेते हर्षुले च युधिष्ठिर।।

राजा जब परिहासशील और कोमल स्वभाव का हो जाता है तब ये ऊपर बताये हुए तथा दूसरे दोष भी प्रकट होते हैं।

इसीलिये एक कुशल राजा को अत्यधिक परिहास से परे रहना चाहिये और कठोरता और कोमलता का यथानुसार उपयोग करना चाहिये। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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