आजकल लोग, बाकी चीज़ों की तरह, किताबें भी ऑनलाइन ख़रीदते हैं लेकिन इसके बावजूद अभी भी बुकसेलर्स और किताबों की दुकानों की एक जीवंत दुनिया है जिसमें किताब हाथ में लेकर उलट पलट कर, बुक सेलर से बात करते हुए ख़रीदी जाती है. आत्मीयता और गर्माहट से भरा एक रिश्ता है जो किताबों के पाठकों और किताबों के विक्रेताओं के बीच शुरू से रहा है और अब भी क़ायम है. दिल्ली जैसे शहर में इसका एक छोर बाहरी संस है जो यहाँ किताबें पाने का सबसे पुराना, सबसे मशहूर ठिकाना है तो दूसरा छोर संजनाजी हैं जो एक अरसे से मंडी हाउस के पास पेड़ नीचे किताबें बेचती हैं. पास ही नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा है जिसके रंगकर्मी उनके गहरे दोस्त हो गए हैं. संजना तिवारी और बाहरी संस दोनों दिल्ली के और किताबों की दुनिया के आयकन हैं. हमारी होस्ट मोहिनी गुप्ता इस पोडकास्ट में बात कर रही हैं संजनाजी और बाहरी संस के एक्सपर्ट बुक सेलर मिथिलेश से. इसके अलावा इस एपिसोड में हमारे एक और ख़ास मेहमान हैं राम जो किताबें ख़ूब पढ़ते और सुनते हैं. राम इस बातचीत में बता रहे हैं वो कैसी किताबें पसंद करते हैं और किताबें सुनने का उनका अनुभव कैसा है. राम बिहेवियरल चेंज के फ़ील्ड में काम करते हैं, मूलतः तमिल हैं लेकिन अंग्रेज़ी और हिंदी में भी किताबें सुनते हैं. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.
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