राज - वंश मिथिला के संस्थापक (Rajkul mithila ke sansthapak)

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Episode
2 of 146
Duration
2min
Language
Hindi
Format
Category
Children

इक्ष्वाकु के पुत्र थे निमि। निमि अपनी प्रजा के भले के लिए एक महान यज्ञ का आयोजन करना चाहते थे जो कई वर्षों तक चलता। उस यज्ञ के पुरोहित बनने के लिए निमि गुरु वशिष्ठ के पास गए।

गुरु वशिष्ठ ने पहले ही इन्द्र के यज्ञ का पुरोहित बनना स्वीकार कर लिया था और उन्होंने निमि को यह बात बता दी। वशिष्ठ ऋषि ने सोचा कि वह इन्द्र का यज्ञ कराने के बाद निमि का यज्ञ भी करा देंगे। उधर निमि ने सोचा कि इतना महान यज्ञ टालना ठीक नहीं है और उन्होंने गौतम ऋषि को पुरोहित बनाकर यज्ञ शुरू करवा दिया।

जब वशिष्ठ ऋषि इन्द्र का यज्ञ संपन्न कराकर वापस लौटे और देखा कि निमि ने किसी और को पुरोहित नियुक्त कर दिया है तो उनको अत्यंत क्रोध आया और उन्होंने निमि को देह रहित हो जाने का शाप दे दिया।

जब निमि का यज्ञ संपन्न हुआ तो प्रजा ने देवताओं से विनती की कि उनके प्रिय राजा वापस उनके पास आ जाएँ। अपनी प्रजा की इस प्रकार विनती को सुनकर निमि के उनकी पलकों में रहना स्वीकार किया।

कहा जाता है तब से निमि हमारी आँखों की पलकों में रहते हैं, इसीलिए पलक झपकने में जो समय लगता है उसे निमिष भी कहते हैं। Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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