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Sarp Raag - Malgudi Days by R. K. Narayan: सर्प राग - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण

ระยะเวลา
10นาที
ภาษา
ภาษาฮินดู
Format
หมวดหมู่

วรรณกรรมเยาวชน

Sarp Raag - Malgudi Days by R. K. Narayan – सर्प राग - मालगुडी डेज़ आर. के. नारायण "Sarp Raag" is a gripping tale from R. K. Narayan’s Malgudi Days, where a once-promising flutist shares his haunting past. After disrespecting a saint who interrupted his musical practice, he is cursed to lose his talent forever. This Hindi audiobook unfolds themes of arrogance, divine wrath, and the fragility of artistic ego — told with a blend of mysticism and emotion that defines Malgudi's storytelling charm.

"एक दिन एक लड़की अपने परिवार के साथ एक संगीत समारोह के लिए गयी थी जहाँ उसे एक बेहद बातूनी आदमी मिला। वह आदमी उस परिवार को अपने अतीत और अपने संगीत के बारे में बताने के लिए उत्सुक था। वह उन्हें बताने लगा कि एक समय था जब वह भी संगीत सीखता था, और वह इतना अच्छा था कि उसके शिक्षक भी उसे दर्शकों के सामने गवाना चाहते थे। एक रात वह रोज़ की ही तरह अपने संगीत के अभ्यास में मग्न था कि तभी एक साधु ने भिक्षा माँगते हुए उसका दरवाज़ा खटखटाया। पर उसने ध्यान नहीं दिया और अपना अभ्यास करता रहा। लेकिन साधू के लगातार दरवाज़ा खटखटाने उसके अभ्यास में रुकावट आ रही थी, जिससे वह गुस्सा हो गया और दरवाज़ा खोलकर उस साधू खरी खोटी सुनाने लगा. उसने साधू भिक्षा देने से भी इंकार कर दिया। उसका ऐसा बर्ताव देखकर साधू ने उसे श्राप दिया कि यह रात उसके संगीत की आखरी रात होगी और अगले दिन उसे अपनी बांसुरी मुट्ठी के भाव बेचनी पड़ेगी।“

लेखक आर. के. नारायण

“मालगुडी डेज” भारत के प्रख्यात लेखक आर.के.नारायण द्वारा रचित एक काल्पनिक शहर की कहानी है और इसी तर्ज पर कन्नड़ अभिनेता और निर्देशक शंकर नाग ने इस पर 1986 में एक टीवी सीरियल का निर्देशन भी किया, जिसे 'मालगुडी डेज़' कहते हैं। मालगुडी, दक्षिण भारत के मद्रास से कुछ घंटों की दूरी पर स्थित एक काल्पनिक गाँव है जो की आर.के.नारायण की ही कल्पना थी। यह शहर मेम्पी जंगल के पास सरयू नदी के किनारे बसा हुआ है। इस जगह की वास्तविकता के बारे में खुद आर.के.नारायण भी अनजान थे। कई लोग इसे कोइम्बतुर में मानते हैं क्योंकि वहां पर भी ऐसी ही इमारतें और घर थे।

© 2025 LOTUS PUBLICATION (หนังสือเสียง ): 9798318333057

วันที่วางจำหน่าย

หนังสือเสียง : 3 พฤษภาคม 2568

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