मोरया गोसावी महाराज चौदहवीं शताब्दी के गाणपत्य संप्रदाय के संत थे। मोरगांव में जन्म लेने वाले गोसावी जी गणपति की प्रेरणा से पुणे के पास चिंचवड़ में आ बसे। चिंचवड़ में उन्होंने भव्य गणेश मन्दिर का निर्माण किया और यहीं उन्होंने समाधि ली। सूत्रधार की यह प्रस्तुति गणेशभक्त मोरया गोसावी को समर्पित है।
कर्नाटक राज्य में, बीदर नाम्क जिले में शाली नाम का एक गांव है। उसी गाँव में वामनभट्ट शालिग्राम और उनकी सुविद्य पत्नी पार्वतीबाई रहा करते थे। वामनभट्ट, श्रुति, स्मृति पुराणों में बताये हुए नियमों का पालन कर अपनी गृहस्थी सुचारु रूप से चला रहे थे। आधी आयु बीत जाने पर भी जब दोनों को कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने घर छोड़कर कहीं और जाने का निश्चय किया .
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