सियार और नगाड़ा

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      4
  • Published
      16 มิ.ย. 2565
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Episode
4 of 25
ระยะเวลา
2นาที
ภาษา
ภาษาฮินดู
รูปแบบ
หมวดหมู่
หนังสือเด็ก

गोमायु नामक एक सियार भूख और प्यास से व्याकुल होकर इधर-उधर भटकता हुआ एक जंगल में जा पहुंचा। उसने वहाँ दो सेनाओं की युद्धभूमि देखी और हवा के कारण बजने वाले नगाड़े की आवाज सुनी। तब वह शान्त मन से सोचने लगा, “अहो! मैं मरा! इस भयानक आवाज से डरकर मैं भाग जाऊँ या फिर अपने पूर्वजों के इस जंगल को छोड़ने के पहले इस आवाज का रहस्य पता करूँ।“

ऐसा सोचकर वह धीरे-धीरे आगे बढ़ा और सामने पड़े हुए नगाड़े को देखा। उसने उत्सुकता से उस नगाड़े को बजाया और सोचा, “अहो! बहुत दिनों बाद मुझे आज अच्छा भोजन प्राप्त हुआ है। यह निश्चय ही मांस और रक्त से भरा हुआ है।“

सियार ने ऐसा सोचकर अपने दांतों से नगाड़े के सूखे चमड़े को फाड़ा और उसके अंदर प्रवेश कर गया। नगाड़े के चमड़े को फाड़ने में उसके कुछ दांत भी टूट गए और अंदर मिला केवल चमड़ा और लकड़ी।

इसीलिए कहते हैं, “केवल आवाज से ही किसी की सच्चाई का अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।“ Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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