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हमेशा से माँ बाप ने प्यार करना गलत है, यही माना है। ज़माना क्या कहेगा...अपना धर्म जाति ज़्यादा महत्वपूर्ण माना जाता रहा है बेटी की खुशी से। अवगुंठन की कथा अपनी ही बेटी को जान बूझकर कुएं में धकेल कर उसका जीवन समाप्त करने की कथा है। बेटी ने भी अपने जीवन की खुशिया जलाकर, अपनी ज़ुबान को अंत तक अवगुंठन में रहकर कैसे निभाया....ये मिसाल है। एक लड़की के जीवन की मार्मिक कहानी का सजीव चित्रण....रवीन्द्रनाथ टैगोर की इस कहानी में....सुनिए इस कहानी का पॉडकास्ट.....
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