पॉडकास्ट | बिना लक्षण के मामले जब पहचानना मुश्किल तो बचाव कैसे मुमकिन?

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इन दिनों देश के कई हिस्सों से प्रवासी मजदूर वापिस अपने घरों को वापिस लौट रहे हैं. सरकारों की बड़ी चिंता है कि कहीं ये लोग अपने साथ कोरोना का संक्रमऩ तो लेकर नहीं आ रहे. हाल में बिहार सरकार ने दूसरे राज्यों से आए लोगों की टेस्टिंग के स्टेट-वाइज आंकड़े जारी किये.

टेस्टिंग में दिल्ली से लौटे मजदूरों में से 26% पॉजिटिव निकले.. वेस्ट बंगाल से लौटे मजदूरों में से 12%, महाराष्ट्र से लौटे मजदूरों में 11% वगैरह वगैरह. लेकिन खतरनाक बात ये कि ज्यादातर लोग असिम्पटोमैटिक थे. यानी उन में कोई लक्षण नहीं थे जो ये बताते कि ये शख्स कोरोना पॉजिटिव हो सकता है. तो क्या वाक़ई भारत में असिम्पटोमैटिक केसेस ज़्यादा है?

यानी खतरा बिना किसी शक्लो-सूरत के हमारे बीच मंडरा रहा है.

अगर भारत में एसिम्पटोमैटिक मामले बढ़ते हैं तो क्या ये कम्युनिटी ट्रांसमिशन का संकेत है? बिना लक्षण के मामले कितना बड़ा खतरा हो सकते हैं और इससे बचने के क्या ऊपाय किये जा सकते हैं. जानिए एक्सपर्ट्स से आज बिग स्टोरी में. Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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