68: अचानक लगा हम निर्वासित हो गए हैं, देश के धूल धक्के में लौटना है: मी और जे

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Episode
68 of 116
ระยะเวลา
1H 6นาที
ภาษา
ภาษาฮินดู
รูปแบบ
หมวดหมู่
นอนฟิกชั่น

मी और जे [मीनाक्षी और सुशील] कलाकार दम्पत्ति हैं जो अभी अमेरिका में रहते हैं. उनके लिए कला रोज़ की दैनिक, साझा गतिविधि है और वे 2013 से इसकी प्रस्तुतियाँ करते रहे हैं. दोनों मिलकर बरसों से एक कम्यूनिटी प्रोजेक्ट 'आर्टोलॉग' भी चलाते रहे हैं. जे ने पत्रकारिता की पढ़ाई की है और वे कुछ वर्षों तक बीबीसी के साथ सोशल मीडिया एडीटर और मल्टीमीडिया जर्नलिस्ट के तौर पर काम चुके हैं. कोरोना वायरस संक्रमण के इन दिनों में जब हम घरों में क़ैद हैं, जे और मी का कला को एक रोज़मर्रा की गतिविधि की तरह प्रैक्टिस करने का बरसों का अभ्यास उन्हें इस असाधारण परिस्थिति का सामना करने में कैसे मदद कर रहा है और मनुष्य, दम्पत्ति, कलाकार और पेरेंट के रूप में वे दोनों यह किस तरह कर रहे हैं यह जानने के लिए हमने उनसे एक लॉंग-डिसटेंस पोडकास्ट के रूप में बातचीत की. उम्मीद यह बातचीत आपको अपने लिए उपयोगी लगेगी. अपना ख़याल रखिए. घर में रहिये. आप हमारे साथ ज़रूर साझा करें कि आपको 'बोलती किताबें' कैसा लग रहा है और आप इसमें क्या सुनना पसंद करेंगे? email: support@storytel.in (mailto:support@storytel.in) स्टोरीटेल सब्सक्राइब करने के लिए यहाँ (https://www.storytel.com/hindi) जाएँ.


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