भगवान जगन्नाथ रथयात्रा

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      8
  • Published
      30 มิ.ย. 2565
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Episode
8 of 63
ระยะเวลา
12นาที
ภาษา
ภาษาฮินดู
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หมวดหมู่

विश्व में कई धर्म, पन्थ तथा सम्प्रदायों के मानने वाले वास करते हैं। इन सबके द्वारा अपनी अपनी परम्पराएँ , पूजा पद्धति और तरह तरह के अनोखे त्योहार मनाए जाते हैं। इसी तर्ज पर भारत में वैष्णव धर्म के मानने वालों के द्वारा भगवान श्रीहरि विष्णु और उनके दशावतारों की उपासना किए जाने की विधि प्रचलित है। दशावतारों में भगवान श्रीकृष्ण का आधुनिक भारतीय समाज एवं हिन्दू दर्शन पर गहरा प्रभाव दिखाई पड़ता है। जिसके चलते केवल वैष्णव नहीं अपितु प्रत्येक पन्थ के सनातनियों में कृष्ण उपासना की प्रथा प्रचलित है। इसी सन्दर्भ में भगवान श्रीकृष्ण के कलियुग के अवतार पुरुषोत्तम जगन्नाथ की गरिमा सम्पूर्ण भारतवर्ष में प्रतिष्ठित है। चारों धामों में एक माने जाने वाले श्री जगन्नाथ के निवासस्थल नीलान्चल पूरी में हर साल मनाई जाने वाली रथयात्रा हिन्दू संकृति के महान् तम पर्वों में से एक है , जो कि केवल भारत ही नही बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।प्रतिवर्ष आषाढ़ शुल्क द्वितीया को भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा तथा सुदर्शन को तीन विशाल सुसज्जित रथों पर विराजमान कर श्रीमन्दिर से गुंडीचा मन्दिर की ओर लिया जाता है। इस भक्तिमय परिवेश में सराबोर होने हेतु लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। बिना किसी जातपात, धर्म, मत आदि का प्रभेद किए भगवान अपनी इस अनूठी लीला में समग्र संसार हो दर्शन देने हेतु स्वयं मन्दिर से बाहर निकलते हैं। मान्यताओं के अनुसार रथ पर विराजमान भगवान श्रीकृष्ण की इस अनोखे रूप का दर्शन करने वाले को पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिलती है। साथ ही साथ ऐसा माना जाता है कि पुराणों में वर्णित सभी आठ चिरंजीवी रथयात्रा के दिन भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने हेतु छद्म वेश धारण कर पूरी पधारते हैं! Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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