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Non-fiction
अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है. इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार लेखक और उनकी सहधर्मिणी अपर्णा के जीवट और साहस पर आश्चर्य होता है. अव्वल तो मानसून के मौसम में कोई सामान्य पर्यटक इस दुर्गम इलाके की यात्रा करता नहीं, करता भी है तो उसके बचने की सम्भावना कम ही होती है. ऐसे मौसम में खुद पहाड़ी लोग भी इन स्थानों को प्रायः छोड़ देते हैं. लेकिन किसी ठेठ यायावर की वह यात्रा भी क्या जिसमें जोखिम न हो. इस लिहाज़ से देखें तो यह यात्रा-वृत्तान्त दाँतो तले ऊँगली दबाने पर मजबूर करने वाला है. यात्रा में संकट कम नहीं है. भूकम्प आता है, ग्लेशियर दरक उठते हैं. कई बार तो स्थानीय सहयोगी भी हताश हो जाते हैं और इसके लिए लेखक की नास्तिकता को दोष देते हैं. फिर भी यह यात्रा न केवल स्थानीय जन-जीवन के कई दुर्लभ चित्र सामने लाती है, बल्कि हज़ारों फीट ऊँचाई पर खिलने वाले ब्रह्मकमल, नीलकमल और फेनकमल जैसे दुर्लभ फूलों के भी साक्षात् दर्शन करा देती है.
© 2019 Storyside IN (Audiobook): 9789353811266
Release date
Audiobook: July 29, 2019
Tags
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अजय सोडानी की किताब 'दरकते हिमालय पर दर-ब-दर’ इस अर्थ में अनूठी है कि यह दुर्गम हिमालय का सिर्फ एक यात्रा-वृत्तान्त भर नहीं है, बल्कि यह जीवन-मृत्यु के बड़े सवालों से जूझते हुए वाचिक और पौराणिक इतिहास की भी एक यात्रा है. इस पुस्तक को पढ़ते हुए बार-बार लेखक और उनकी सहधर्मिणी अपर्णा के जीवट और साहस पर आश्चर्य होता है. अव्वल तो मानसून के मौसम में कोई सामान्य पर्यटक इस दुर्गम इलाके की यात्रा करता नहीं, करता भी है तो उसके बचने की सम्भावना कम ही होती है. ऐसे मौसम में खुद पहाड़ी लोग भी इन स्थानों को प्रायः छोड़ देते हैं. लेकिन किसी ठेठ यायावर की वह यात्रा भी क्या जिसमें जोखिम न हो. इस लिहाज़ से देखें तो यह यात्रा-वृत्तान्त दाँतो तले ऊँगली दबाने पर मजबूर करने वाला है. यात्रा में संकट कम नहीं है. भूकम्प आता है, ग्लेशियर दरक उठते हैं. कई बार तो स्थानीय सहयोगी भी हताश हो जाते हैं और इसके लिए लेखक की नास्तिकता को दोष देते हैं. फिर भी यह यात्रा न केवल स्थानीय जन-जीवन के कई दुर्लभ चित्र सामने लाती है, बल्कि हज़ारों फीट ऊँचाई पर खिलने वाले ब्रह्मकमल, नीलकमल और फेनकमल जैसे दुर्लभ फूलों के भी साक्षात् दर्शन करा देती है.
© 2019 Storyside IN (Audiobook): 9789353811266
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