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अपने सपनों के टूटने के बाद जब कोई लड़खड़ाकर जमीन की ओर लुढकने लगता है तो उसे टूटा-फूटा ही सही पर सबसे पहला कंधा अपने दोस्तों का ही मिलता है। ‘देख लेंगे यार’ नामक यह उपन्यास भी रितेश और अभिनव की दोस्ती के एक ऐसे ही सफर की ही कहानी है। उदयपुर शहर की खूबसूरती के बीच रितेश और अभिनव की दोस्ती भी धीरे-धीरे हर उस पड़ाव से गुजरती है जहाँ उनके बिखरने के कारण तो कई होते हैं पर जुड़े रहना का कारण सिर्फ एक कि वे दोस्त हैं। दोस्ती के इस सफर में कभी वे साथ में हँसना सीखते हैं तो कभी फूट-फूटकर रोना। कभी वे छोटी-सी बात के लिए एक-दूसरे से लड़ जाना चाहते हैं, तो कभी एक-दूसरे के लिए बिना अपने अंजाम की सोचे पूरी दुनिया से भिड़ जाना। अगर वास्तविकता में देखें तो यह उन दोनों के उस उम्र के बचपने की कहानी है जिसे लोग बड़े प्यार से जवानी कहते हैं, और उनकी इसी उम्र में फिर आता है ‘प्यार’ और वो भी कोई ऐसा-वैसा नहीं एकदम कड़क, जैसेकि उसे किसी ने सदियों तक अफ़ीम की चाशनी में डुबोकर रखा हुआ हो। अब चाहे आप मानें या न मानें पर उसके बाद से सब कुछ बदल जाता है। उनकी दोस्ती भी।
© 2020 Storyside IN (Audiobook): 9789353984700
Release date
Audiobook: August 10, 2020
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