बलिवेदी पर फैंकी हुई और खानाबदोश, रोज़ी ज़ालबेडोरा ने आस्ट्रेलिया के आंतरिक क्षेत्र के सीमा में गवर्नस की नौकरी ले ली। वहाँ उसकी मुलाकात पीपा ब्रिस्टोह नामक एक भावुक बच्ची से हुई जो अपने माता-पिता के कटु अलगाव का सामना परियों की रानी और एक सींग वाले जानवर के जादुई दुनिया में पलायन कर करती था।
पीपा को उसके थका देने वाली पढ़ाई-लिखाई में पकड़ जमाने के नियत काम के लिए रोज़ी की नियुक्ती की गई और इस तरह वह पीपा के पिता, एडम एवं तेल खादानों की उत्तराधिकारिणी,उनकी स्वार्थी पत्नी ईवा, के बीच चल रही निगरानी के विवाद में एक मोहरा बन कर रह गई। जैसे-जैसे उनके बीच का तनाव बढ़ता गया और रोज़ी, ब्रिस्टोह परिवार के सेंकड़ों भेद की जानकार बनती गई, वैसे-वैसे उसे अपने भयाभय अतीत का भी सामना करना पड़ा। इसी दौरान उसे अपने सुरूप एवं अप्राप्य भावना वाले नियोक्ता के लिए बढ़ते आकर्षण का भी संघर्ष करना पङेगा। किन्तु उसे मदद एक विचित्र वयस्क पड़ोसी, मित्रतापूर्ण शहर और हर रात उसके सपनों में आते हुए एक घुड़सवार की छाया के रूप में मिली।
"गर ख्वाईशें तुरग होतीं" पारिवारिक गाथा की वह पहली किताब है जो आस्ट्रेलिया के पट भूमि पर आधारित की गई है एवं जिसकी शैली जेन आयर की दिल को चीरने वाली गाथिक के मंद स्वर एवं अलौकिक संकेतों से अपनाई गई है।
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"एक रहस्यमय, जादुई भूदृश्य और पौराणिक कथा का एक नवीन जीवन।" —इतिहास के ब्लॉग का अफसाना।
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"मैं फौरन पात्रो के जीवन में खींची चली गई, और एैसा महसूस हुआ जैसे में रोज़ी के आस-पास ही हूँ जब वो अपने जीवन को बिखरने से बचाते हुए संघर्ष कर रही थी..." —न्यू योर्क टाइम्स की सर्वश्रेष्ठ बिकने वाली रचनाकार स्टेसी जोय नेटज़ेल।
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"रोज़ी और एडम, दोनों ही चोट खाए हुए इंसान हैं------- वह नन्ही-सी लड़की, पीपा, बड़ी ही करामाती हैं।( पीपा एक बेहद नाज़ुक बच्ची है, जो अपने माता-पिता के घिनौने अभिरक्षा के विवाद में इस तरह उलझी हुई है की आप उसे गले से लगाने पर मजबुर हो जाऐंगे एवं उसे सुरक्षित रखना चाहेंगे..." —डार्क लिलिथ बॉल्ग बुक ।
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हिंदी संस्करण, हिंदी भाषा, हिंदी पुस्तकें - Hindi language
© 2018 Seraphim Press (buku elektronik ): 9781943036677
Tanggal rilis
buku elektronik : 24 Maret 2018
बलिवेदी पर फैंकी हुई और खानाबदोश, रोज़ी ज़ालबेडोरा ने आस्ट्रेलिया के आंतरिक क्षेत्र के सीमा में गवर्नस की नौकरी ले ली। वहाँ उसकी मुलाकात पीपा ब्रिस्टोह नामक एक भावुक बच्ची से हुई जो अपने माता-पिता के कटु अलगाव का सामना परियों की रानी और एक सींग वाले जानवर के जादुई दुनिया में पलायन कर करती था।
पीपा को उसके थका देने वाली पढ़ाई-लिखाई में पकड़ जमाने के नियत काम के लिए रोज़ी की नियुक्ती की गई और इस तरह वह पीपा के पिता, एडम एवं तेल खादानों की उत्तराधिकारिणी,उनकी स्वार्थी पत्नी ईवा, के बीच चल रही निगरानी के विवाद में एक मोहरा बन कर रह गई। जैसे-जैसे उनके बीच का तनाव बढ़ता गया और रोज़ी, ब्रिस्टोह परिवार के सेंकड़ों भेद की जानकार बनती गई, वैसे-वैसे उसे अपने भयाभय अतीत का भी सामना करना पड़ा। इसी दौरान उसे अपने सुरूप एवं अप्राप्य भावना वाले नियोक्ता के लिए बढ़ते आकर्षण का भी संघर्ष करना पङेगा। किन्तु उसे मदद एक विचित्र वयस्क पड़ोसी, मित्रतापूर्ण शहर और हर रात उसके सपनों में आते हुए एक घुड़सवार की छाया के रूप में मिली।
"गर ख्वाईशें तुरग होतीं" पारिवारिक गाथा की वह पहली किताब है जो आस्ट्रेलिया के पट भूमि पर आधारित की गई है एवं जिसकी शैली जेन आयर की दिल को चीरने वाली गाथिक के मंद स्वर एवं अलौकिक संकेतों से अपनाई गई है।
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"एक रहस्यमय, जादुई भूदृश्य और पौराणिक कथा का एक नवीन जीवन।" —इतिहास के ब्लॉग का अफसाना।
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"मैं फौरन पात्रो के जीवन में खींची चली गई, और एैसा महसूस हुआ जैसे में रोज़ी के आस-पास ही हूँ जब वो अपने जीवन को बिखरने से बचाते हुए संघर्ष कर रही थी..." —न्यू योर्क टाइम्स की सर्वश्रेष्ठ बिकने वाली रचनाकार स्टेसी जोय नेटज़ेल।
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"रोज़ी और एडम, दोनों ही चोट खाए हुए इंसान हैं------- वह नन्ही-सी लड़की, पीपा, बड़ी ही करामाती हैं।( पीपा एक बेहद नाज़ुक बच्ची है, जो अपने माता-पिता के घिनौने अभिरक्षा के विवाद में इस तरह उलझी हुई है की आप उसे गले से लगाने पर मजबुर हो जाऐंगे एवं उसे सुरक्षित रखना चाहेंगे..." —डार्क लिलिथ बॉल्ग बुक ।
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