बरसात का मौसम हो या न भी हो| हर मन के आँगन की कच्ची मिट्टी में कभी न कभी उग ही आती है कुछ भावों की पौध| इनमें से कुछ भाव कविता हो जाते हैं, कुछ चित्र तो कुछ संगीत| ऐसे ही इस कविता संग्रह की ये कविताएँ जिन पर आज अलग-अलग भावों के पात और फूल खिले हैं, मैंने इन्हें रोपा नहीं था, इन कविताओं ने मेरे मन के आँगन को खुद चुना था| अब ये आपके मन में रह सकें, पेड़ बन सकें, हरियाली और छाँह दे सकें... यही विश्वास और उम्मीद है|
© 2018 Yatra Books (Buku audio ): 9789383125197
Penerjemah : Mamta Govil
Tanggal rilis
Buku audio : 14 September 2018
बरसात का मौसम हो या न भी हो| हर मन के आँगन की कच्ची मिट्टी में कभी न कभी उग ही आती है कुछ भावों की पौध| इनमें से कुछ भाव कविता हो जाते हैं, कुछ चित्र तो कुछ संगीत| ऐसे ही इस कविता संग्रह की ये कविताएँ जिन पर आज अलग-अलग भावों के पात और फूल खिले हैं, मैंने इन्हें रोपा नहीं था, इन कविताओं ने मेरे मन के आँगन को खुद चुना था| अब ये आपके मन में रह सकें, पेड़ बन सकें, हरियाली और छाँह दे सकें... यही विश्वास और उम्मीद है|
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