Pauranik KathayenAudio Pitara by Channel176 Productions
मूर्ख बंदर और राजा
किसी राजा का एक भक्त और विश्वासपात्र एक बंदर था। राजा ने उस बंदर को अपना अंगरक्षक नियुक्त कर रखा था और उसे राजमहल में कहीं भी बेरोक-टोक आने-जाने की अनुमति थी।
एक दिन राजा सो रहा था और बंदर उसके पास खड़ा पंखा लेकर हवा कर रहा था। सोते हुए राजा की छाती पर एक मक्खी बैठ गयी। पंखे से बार-बार दूर हटाने पर भी वह बार-बार वहीं बैठती रही।
तब उस मूर्ख बंदर ने एक पैनी तलवार से मक्खी पर प्रहार कर दिया। मक्खी तो उड़ गयी परन्तु राजा की छाती के दो टुकड़े हो गए और राजा वहीं मर गया।
इसीलिए कहते हैं मूर्ख से मित्रता हानिकारक हो सकती है।
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