किसी जंगल में मदोत्कट नाम का एक सिंह रहता था। उसके सेवक गैंडा, कौवा और गीदड़ थे। एक दिन उन्होंने जंगल में इधर-उधर घूमते हुए अपने साथियों से बिछड़ा हुआ क्रथनक नाम का एक ऊंट देखा। ऊंट को देखकर सिंह बोला, “अहो! यह तो बड़ा ही सुंदर जीव है। पता लगाया जाए की यह पालतू है या जंगली।“ यह सुनकर कौआ बोला, “स्वामी! ऊंट नाम का यह पालतू पशु आपका भोजन है। आप इसे तुरंत मार डालिये।“ सिंह बोला, “नहीं! मैं अपने घर आये हुए को नहीं मरूँगा। तुम लोग उसको अभयदान देकर मेरे पास लेकर आओ जिससे मैं उसके यहाँ आने का कारण पूछ सकूँ।“
सिंह की बात मानकर उसके साथी किसी तरह ऊंट को विश्वास दिलाकर मदोत्कट के पास ले आए। तब सिंह के पूंछने पर ऊंट ने उसे अपने बारे में सब कुछ बता दिया कि कैसे वह गाँव में अपने मालिक के लिए भार उठाता है और आज किसी तरह अपने साथियों से भटककर यहाँ जंगल में पहुँच गया है। ऊंट की बातें सुनकर सिंह बोला, “क्रथनक भाई! अब तुम्हें गाँव वापस जाकर बोझ उठाने की कोई आवश्यकता नहीं है। तुम अब यहीं हमारे साथ जंगल में रहो और बिना किसी डर के हरी घास का सुख भोगो।“
उसके बाद मदोत्कट के संरक्षण में वह ऊंट बिल्कुल निडर होकर जंगल में रहने लगा।
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