'फेयर एंड लवली' तो बदल गई, लेकिन 'गोरेपन' पर समाज की सोच कब बदलेगी

'फेयर एंड लवली' तो बदल गई, लेकिन 'गोरेपन' पर समाज की सोच कब बदलेगी

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Episode
218 of 376
Durasi
11menit
Bahasa
Hindi
Format
Kategori
Non Fiksi

आम ज़िन्दगी में न जाने कितने ऐसे मौके आते हैं, जिन में गोरा रंग का होना मानो एक ज़रूरी क्वालिफिकेशन के जैसा हो. जिस के न होने से जॉब, शादी के लिए रिश्ता, एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में बेहतर करियर, वग़ैरा हासिल करना मुश्किल लगता है.

गोरा होने का ये ख्वाब हमारे देश में सालों से बिकता आ रहा है. और इस ख्वाब को बेचने वाली क्रीम का नाम अब इतने सालो बाद बदला जा रहा है, अमेरिका में ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन के बाद 'फेयर एंड लवली' बनाने वाली कंपनी हिंदुस्तान यूनीलिवर को विरोधों का सामना करना पड़ा और अब उसने फैसला किया है कि वह इस प्रॉडक्ट का नाम बदलने जा रही है. बहुत अच्छी खबर है, लेकिन क्या सिर्फ एक क्रीम का नाम बदलने से हमारी मानसिकता बदल सकती है? आखिर हमें गोरापन क्यों चाहिए? और हमारे समाज की सोच में गोरेपन के नाम पर इतना कालापन क्यों है? रंग रूप के नाम पर भेदभाव क्यों होता है, इसी पर आज इस पॉडकास्ट में बात करेंगे.

गीत: गौतम वेंकटेश और वैभव पलनीटकर वॉइस ओवर: चमन शगुफ्ता, सादिया सय्यद, रूमी हमीद, सानिया सय्यद रिपोर्ट और साउंड डिज़ाइन: फबेहा सय्यद एडिटर: नीरज गुप्ता Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices


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