बेताल पच्चीसी : चौदहवीं कहानी : चोर ज़ोर से रोया फिर हंसा क्यों : Chor zor se roya fir hansa kyo

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Episode
15 of 26
Durasi
3menit
Bahasa
Hindi
Format
Kategori
Pengembangan Diri

चोर ज़ोर-ज़ोर से क्यों रोया और फिर हँसा? - बेताल पच्चीसी - चौदहवीं कहानी।।

अयोध्या नगरी में वीरकेतु नाम का राजा राज करता था। उसके राज्य में रत्नदत्त नाम का एक साहूकार था, जिसके रत्नवती नाम की एक लड़की थी। वह सुन्दर थी। वह पुरुष के भेस में रहा करती थी और किसी से भी ब्याह नहीं करना चाहती थी। उसका पिता बड़ा दु:खी था।

इसी बीच नगर में खूब चोरियाँ होने लगी। प्रजा दु:खी हो गयी। कोशिश करने पर भी जब चोर पकड़ में न आया तो राजा स्वयं उसे पकड़ने के लिए निकला। एक दिन रात को जब राजा भेष बदलकर घूम रहा था तो उसे परकोटे के पास एक आदमी दिखाई दिया। राजा चुपचाप उसके पीछे चल दिया। चोर ने कहा, "तब तो तुम मेरे साथी हो। आओ, मेरे घर चलो।"

दोनो घर पहुँचे। उसे बिठलाकर चोर किसी काम के लिए चला गया। इसी बीच उसकी दासी आयी और बोली, "तुम यहाँ क्यों आये हो? चोर तुम्हें मार डालेगा। भाग जाओ।"

राजा ने ऐसा ही किया। फिर उसने फौज लेकर चोर का घर घेर लिया। जब चोर ने ये देखा तो वह लड़ने के लिए तैयार हो गया। दोनों में खूब लड़ाई हुई। अन्त में चोर हार गया। राजा उसे पकड़कर राजधानी में लाया और से सूली पर लटकाने का हुक्म दे दिया।

संयोग से रत्नवती ने उसे देखा तो वह उस पर मोहित हो गयी। पिता से बोली, "मैं इसके साथ ब्याह करूँगी, नहीं तो मर जाऊँगी।

पर राजा ने उसकी बात न मानी और चोर सूली पर लटका दिया। सूली पर लटकने से पहले चोर पहले तो बहुत रोया, फिर खूब हँसा। रत्नवती वहाँ पहुँच गयी और चोर के सिर को लेकर सती होने को चिता में बैठ गयी। उसी समय देवी ने आकाशवाणी की, "मैं तेरी पतिभक्ति से प्रसन्न हूँ। जो चाहे सो माँग।"

रत्नवती ने कहा, "मेरे पिता के कोई पुत्र नहीं है। सो वर दीजिए, कि उनसे सौ पुत्र हों।"

देवी प्रकट होकर बोलीं, "यही होगा। और कुछ माँगो।"

वह बोली, "मेरे पति जीवित हो जायें।"

देवी ने उसे जीवित कर दिया। दोनों का विवाह हो गया। राजा को जब यह मालूम हुआ तो उन्होंने चोर को अपना सेनापति बना लिया।

इतनी कहानी सुनाकर बेताल ने पूछा, ‘हे राजन्, यह बताओ कि सूली पर लटकने से पहले चोर क्यों तो ज़ोर-ज़ोर से रोया और फिर क्यों हँसते-हँसते मर गया?"

राजा ने कहा, "रोया तो इसलिए कि वह राजा रत्नदत्त का कुछ भी भला न कर सकेगा। हँसा इसलिए कि रत्नवती बड़े-बड़े राजाओं और धनिकों को छोड़कर उस पर मुग्ध होकर मरने को तैयार हो गयी। स्त्री के मन की गति को कोई नहीं समझ सकता।"

इतना सुनकर बेताल गायब हो गया और पेड़ पर जा लटका। राजा फिर वहाँ गया और उसे लेकर चला तो रास्ते में उसने यह कथा कही।


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