इस खण्ड में, द्यूत में हारने के पश्चात पाण्डवों के वनवास की कथा है। कुन्ती, पाण्डु के साथ शत्- श्रृंग पर वनवास करने गयी थी। लाक्षागृह के जलने पर, वह अपने पुत्रों के साथ हिडिम्ब वन में भी रही थी। महाभारत की कथा के अन्तिम चरण में, उसने धृतराष्ट्र, गान्धारी तथा विदुर के साथ भी वनवास किया था।...किन्तु अपने पुत्रों के विकट कष्ट के इन दिनों में वह उनके साथ वन में नहीं गयी। वह न द्वारका गयी, न भोजपुर। वह हस्तिनापुर में विदुर के घर रही। क्यों? पाण्डवों की पत्नियाँ देविका, बलंधरा, सुभद्रा, करेणुमती और विजया, अपने-अपने बच्चों के साथ अपने-अपने मायके चली गयीं; किन्तु द्रौपदी काम्पिल्य नहीं गयी। वह पाण्डवों के साथ वन में ही रही। क्यों? कृष्ण चाहते थे कि वे यादवों के बाहुबल से, दुर्योधन से पाण्डवों का राज्य छीनकर, पाण्डवों को लौटा दें, किन्तु वे ऐसा नहीं कर सके। क्यों? सहसा ऐसा क्या हो गया कि बलराम के लिए धृतराष्ट्र तथा पाण्डव, एक समान प्रिय हो उठे, और दुर्योधन को यह अधिकार मिल गया कि वह कृष्ण से सैनिक सहायता माँग सके और कृष्ण उसे यह भी न कह सकें कि वे उसकी सहायता नहीं करेंगे? इतने शक्तिशाली सहायक होते हुए भी, युधिष्ठिर क्यों भयभीत थे? उन्होंने अर्जुन को किन अपेक्षाओं के साथ दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए भेजा था? अर्जुन क्या सचमुच स्वर्ग गये थे, जहाँ इस देह के साथ कोई नहीं जा सकता? क्या उन्हें साक्षात् महादेव के दर्शन हुए थे? अपनी पिछली यात्रा में तीन-तीन विवाह करनेवाले अर्जुन के साथ ऐसा क्या घटित हो गया कि उसने उर्वशी के काम-निवेदन का तिरस्कार कर दिया। इस प्रकार के अनेक प्रश्नों के उत्तर निर्दोष तर्कों के आधार पर ‘अन्तराल’ में प्रस्तुत किये गये हैं। यादवों की राजनीति, पाण्डवों के धर्म के प्रति आग्रह, तथा दुर्योधन की मदान्धता सम्बन्धी यह रचना पाठक के सम्मुख, इस प्रख्यात कथा के अनेक नवीन आयाम उद्घाटित करती है। कथानक का ऐसा निर्माण, चरित्रों की ऐसी पहचान तथा भाषा का ऐसा प्रवाह -नरेन्द्र कोहली की लेखनी से ही सम्भव है।
Release date
Audiobook: 14 April 2021
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इस खण्ड में, द्यूत में हारने के पश्चात पाण्डवों के वनवास की कथा है। कुन्ती, पाण्डु के साथ शत्- श्रृंग पर वनवास करने गयी थी। लाक्षागृह के जलने पर, वह अपने पुत्रों के साथ हिडिम्ब वन में भी रही थी। महाभारत की कथा के अन्तिम चरण में, उसने धृतराष्ट्र, गान्धारी तथा विदुर के साथ भी वनवास किया था।...किन्तु अपने पुत्रों के विकट कष्ट के इन दिनों में वह उनके साथ वन में नहीं गयी। वह न द्वारका गयी, न भोजपुर। वह हस्तिनापुर में विदुर के घर रही। क्यों? पाण्डवों की पत्नियाँ देविका, बलंधरा, सुभद्रा, करेणुमती और विजया, अपने-अपने बच्चों के साथ अपने-अपने मायके चली गयीं; किन्तु द्रौपदी काम्पिल्य नहीं गयी। वह पाण्डवों के साथ वन में ही रही। क्यों? कृष्ण चाहते थे कि वे यादवों के बाहुबल से, दुर्योधन से पाण्डवों का राज्य छीनकर, पाण्डवों को लौटा दें, किन्तु वे ऐसा नहीं कर सके। क्यों? सहसा ऐसा क्या हो गया कि बलराम के लिए धृतराष्ट्र तथा पाण्डव, एक समान प्रिय हो उठे, और दुर्योधन को यह अधिकार मिल गया कि वह कृष्ण से सैनिक सहायता माँग सके और कृष्ण उसे यह भी न कह सकें कि वे उसकी सहायता नहीं करेंगे? इतने शक्तिशाली सहायक होते हुए भी, युधिष्ठिर क्यों भयभीत थे? उन्होंने अर्जुन को किन अपेक्षाओं के साथ दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए भेजा था? अर्जुन क्या सचमुच स्वर्ग गये थे, जहाँ इस देह के साथ कोई नहीं जा सकता? क्या उन्हें साक्षात् महादेव के दर्शन हुए थे? अपनी पिछली यात्रा में तीन-तीन विवाह करनेवाले अर्जुन के साथ ऐसा क्या घटित हो गया कि उसने उर्वशी के काम-निवेदन का तिरस्कार कर दिया। इस प्रकार के अनेक प्रश्नों के उत्तर निर्दोष तर्कों के आधार पर ‘अन्तराल’ में प्रस्तुत किये गये हैं। यादवों की राजनीति, पाण्डवों के धर्म के प्रति आग्रह, तथा दुर्योधन की मदान्धता सम्बन्धी यह रचना पाठक के सम्मुख, इस प्रख्यात कथा के अनेक नवीन आयाम उद्घाटित करती है। कथानक का ऐसा निर्माण, चरित्रों की ऐसी पहचान तथा भाषा का ऐसा प्रवाह -नरेन्द्र कोहली की लेखनी से ही सम्भव है।
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Step into an infinite world of stories
Overall rating based on 84 ratings
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Mayank
19 Apr 2021
शानदार लेखन व वाचन साधु साधु
Hitesh
18 Apr 2021
I'd personally like to thank and congratulate whoever enabled this audiobook here, I have no words for the mind blowing ease with which Narendra Kohli has unraveled the complicated concepts of Karma yog in this unprecedented work on Mahabharata. अत्यन्त भाव विभोर कर रही है ये audiobook ❤️❤️
Ritu
12 May 2021
Very interesting
Prateek
21 Jul 2021
Gr8
Geeta
10 Dec 2022
Excellent
Gauri
23 Jun 2021
श्रेष्ठ पुस्तक एवं सर्वश्रेष्ठ प्रस्तुतिद
Naveen
18 Jul 2021
Excellent book
Madan
15 Jul 2021
Fantastic
Jyoti
11 Jun 2021
Couldn’t stop listening, beautifully written!
Balkrishnaa
13 Nov 2023
Good
English
India