‘यार जादूगर’ हिंदी साहित्य की मुख्य धारा के उपन्यासों में विषय-वस्तु के लिहाज से एकदम नया और चौंकाने वाली कहानी है। कल्पना की जमीन पर बोया गया ऐसा यथार्थ जो मानवीय संबंधों और उसके मनोविज्ञान पर दार्शनिकता की गाँठ खोलता रेशा-रेशा उघाड़ते हुए एक प्राकृतिक शाश्वत सत्य के समीप पहुँच पूर्ण होता है। ‘यार जादूगर’ मृत्यु का महोत्सव है और जीवन का लोक संगीत भी, जो मृत्यु की अनिवार्यता को स्वीकार कर जीवन की सार्थकता को मलंग हो स्वीकार करने की कोशिश है। लेखक नीलोत्पल मृणाल की आवाज़ में सुनिए "यार जादूगर"!
© 2021 Storyside IN (Audiobook): 9789355445452
Release date
Audiobook: 25 December 2021
‘यार जादूगर’ हिंदी साहित्य की मुख्य धारा के उपन्यासों में विषय-वस्तु के लिहाज से एकदम नया और चौंकाने वाली कहानी है। कल्पना की जमीन पर बोया गया ऐसा यथार्थ जो मानवीय संबंधों और उसके मनोविज्ञान पर दार्शनिकता की गाँठ खोलता रेशा-रेशा उघाड़ते हुए एक प्राकृतिक शाश्वत सत्य के समीप पहुँच पूर्ण होता है। ‘यार जादूगर’ मृत्यु का महोत्सव है और जीवन का लोक संगीत भी, जो मृत्यु की अनिवार्यता को स्वीकार कर जीवन की सार्थकता को मलंग हो स्वीकार करने की कोशिश है। लेखक नीलोत्पल मृणाल की आवाज़ में सुनिए "यार जादूगर"!
© 2021 Storyside IN (Audiobook): 9789355445452
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Audiobook: 25 December 2021
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Showing 10 of 128
Alok
25 Dec 2021
Another masterpiece
Ashish
28 Jan 2022
Best book ever! Thank you so much Sir!
Garry
15 Jan 2022
Another masterpiece by Nilotpal Mrinal. Deep philosophy explained in easy and humorous way. Nobody else could've narrated the story better than the author himself !!
Jaidev
30 Dec 2021
बहुत ही जबर्दस्त उपन्यास हैं
Prasad
28 Dec 2021
जय हो
Praveen
15 Feb 2022
पिछले हफ़्ते से रोज़मर्रा की यात्राओं में सुनते हुए आज संपूर्ण हुआ। नीलोत्पल ने स्वयं स्टोरीटेल पर आवाज़ दी है, तो उनकी पिछली पुस्तक ‘औघड़’ की तरह यह ऑडियो अनुभव भी मज़ेदार रहा। नीलोत्पल बढ़िया वक्ता तो हैं ही, जब अपनी ही लिखी कथा सुनाते हैं तो लगता है कि खाट पर बैठा कर मुरैठा बाँधे बोले जा रहे हों। यह तो यात्रा की अपनी सीमा थी कि एक ही झटके में पूरी कथा नहीं सुन सका, रुक-रुक कर लौटना पड़ा। इस मध्य कथा की आलोचना पढ़ी कि यह यथार्थ से परे है, लेखक की ज़मीन अवैज्ञानिक है। इस पर ‘जादुई यथार्थवाद’ जैसे भारी-भरकम मुलम्मे नहीं चढ़ाए जा सकते, लेकिन गल्प की ज़मीन आखिर क्या होती है? आप जूपिटर ग्रह पर भी कथा रच सकते हैं, अविश्वसनीय कथानक बुन सकते हैं। इसके तो खैर शीर्षक में ही जादूगर है। अगला प्रश्न यह उठता है कि कथा का ध्येय क्या है? क्या इससे समाज को कुछ हासिल हुआ? एक पाठक की यात्रा के रूप में तो लेखक का प्रवाह और उनकी देसी उपमाएँ ही रंग जमा देती हैं। दूसरी तरफ़ लेखक जैसे जीवन के सबसे बड़े और कुछ हद तक अनुत्तरित प्रश्न उठाते हैं, वैसे प्रश्न उठते रहने चाहिए। आज-कल तो कथेतर में हरारी जैसे लेखक ये प्रश्न उठाने लगे हैं, तो कथाकार तो उठा ही सकते हैं।पाठकों के निराशा का कारण रहस्य की कमी हो सकता है, क्योंकि नीचे लगे पोस्टर में ही रहस्य का पर्दाफ़ाश कर दिया गया है। यह पोस्टर अवश्य विचार कर ही बनाया गया होगा, और संभव है कि रहस्य पर जान-बूझ कर बल नहीं दिया गया हो। यह थ्रिलर लेखन तो वैसे भी नहीं थी।अंत में एक पंक्ति है- “इक्कीसवीं सदी में जैसे किसी मिथक का दोहराव हो रहा हो” यह दोहराव तो नहीं, किंतु एक तिरछी नज़र अवश्य है
Amit
7 Jan 2022
अद्भुत और अलग तरह का श्रेष्ठ उपन्यास, हमेशा की तरह ही लेखक की तरफ से निकली एक और अच्छी पुस्तक।
Madan
30 Dec 2021
निलोत्पल सर, क्लाइमैक्स too filmi हो गया। अन्यथा आपकी आवाज़ में आपकी ही किताब सुनने में बहुत मजा आया। प्रेमचंद की तरह ही ज़मीन से जुड़े किस्से आप बहुत ही अच्छी तरह पेश करते हो।
Abhinav
2 Feb 2022
Average book, but memorable, tries to do something different.Plot is just a device to allow writer to take political shots but ok, I give you credit for writing something different than other writers who are just busy writing hostal stories.
Rupali
15 Feb 2024
Interesting story ..
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